DNA पहचान तकनीक | 16 Jun 2025
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
अहमदाबाद में एयर इंडिया बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना के बाद अधिकारियों ने पीड़ितों की पहचान की पुष्टि के लिये DNA पहचान विधि का उपयोग किया।
- जब शव के अवशेष अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तब DNA विश्लेषण सामूहिक मृत्यु दुर्घटनाओं में व्यक्तियों की पहचान के लिये सर्वोत्तम मानक बन जाता है, जैसा कि इस घटना में हुआ।
DNA विश्लेषण तकनीक एवं आपदा पीड़ित पहचान में इसका अनुप्रयोग क्या है?
- परिचय: DNA विश्लेषण तकनीक से आशय उन वैज्ञानिक विधियों से है, जिनके माध्यम से किसी व्यक्ति की आनुवंशिक सामग्री (DNA) की परीक्षण पहचान, पारिवारिक संबंधों की जाँच अथवा आनुवंशिक गुणों का पता लगाने के लिये किया जाता है।
- DNA प्रोफाइलिंग का उपयोग व्यक्तियों के DNA के विशिष्ट क्षेत्रों की जाँच करके उनकी पहचान करने के लिये किया जाता है।
- DNA (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) यूकेरियोटिक कोशिकाओं के नाभिक और प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं (बैक्टीरिया) के कोशिका द्रव्य में पाया जाने वाला आनुवंशिक पदार्थ है।
- यह एक अनुवंशिक खाका (ब्लूप्रिंट) होता है, जो प्रत्येक व्यक्ति के लिये अद्वितीय होता है, सिवाय एक जैसे जुड़वाँ (इडेंटिकल ट्विन्स) के और यह मानव शरीर की लगभग प्रत्येक कोशिका में मौजूद होता है।
- हालाँकि मानव DNA का 99.9% भाग सभी व्यक्तियों में समान होता है, लेकिन शेष 0.1% भाग में विभिन्नताएँ होती हैं, विशेष रूप से शॉर्ट टैंडेम रिपीट्स (STR) नामक क्षेत्रों में, जो प्रत्येक व्यक्ति की DNA प्रोफाइल को विशिष्ट बनाती हैं।
- DNA विश्लेषण की तकनीकें:
- STR विश्लेषण फॉरेंसिक DNA पहचान में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली विधि है। यह न्यूक्लियर DNA में मौजूद छोटी, दोहराव वाली अनुक्रमिकताओं (सीक्वेंस) की जाँच करता है, जो व्यक्तियों के बीच काफी भिन्न होती हैं।
- 15 या अधिक STR लोकी का विश्लेषण करके पहचान की अत्यधिक सटीकता के साथ पुष्टि की जा सकती है। हालाँकि, यदि न्यूक्लियर DNA अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो गया हो तो इस तकनीक की विश्वसनीयता कम हो जाती है।
- माइटोकॉन्ड्रियल DNA (mtDNA) विश्लेषण: इसका उपयोग तब किया जाता हैं, जब परमाणु DNA अनुपस्थित या क्षीण हो जाता है, mtDNA विश्लेषण मातृवंशीय आनुवंशिक पदार्थ पर केंद्रित होता है।
- चूँकि mtDNA प्रत्येक कोशिका में अनेक प्रतियों में मौजूद होता है, इसलिये यह क्षतिग्रस्त अवशेषों में अधिक समय तक सुरक्षित रह सकता है।
- पहचान मातृ पक्ष के रिश्तेदारों जैसे माँ, मातृ भाई-बहन या मामा-मौसी से मिलान करके की जाती है।
- Y-क्रोमोसोम STR विश्लेषण: यह विधि Y क्रोमोसोम पर स्थित STR की जाँच करती है, जो पिता से पुत्र को पैतृक वंशागति के माध्यम से प्राप्त होती है।
- यह विशेष रूप से पुरुष पीड़ितों की पहचान के लिये उपयोगी होता है, जिसमें उनके DNA की तुलना पैतृक पुरुष संबंधियों के DNA से की जाती है। यह तब भी प्रभावी होता हैं, जब रेफरेंस के लिये केवल दूर के पुरुष रिश्तेदार ही उपलब्ध हों।
- एकल न्यूक्लियोटाइड बहुरूपता (Single Nucleotide Polymorphism- SNP) विश्लेषण: SNP विश्लेषण का उपयोग तब किया जाता है, जब DNA अत्यधिक क्षीण हो जाता है और अन्य विधियाँ व्यवहार्य नहीं होती हैं।
- यह जीनोम में एकल आधार युग्मों में भिन्नताओं की पहचान करता है। हालाँकि STR विश्लेषण की तुलना में कम भेदभावपूर्ण, SNP तब उपयोगी होते मैं, जब पहचान के लिये केवल लिमिटेड रेफरेंस मटेरियल या पर्सनल आइटम उपलब्ध होते हैं।
- STR विश्लेषण फॉरेंसिक DNA पहचान में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली विधि है। यह न्यूक्लियर DNA में मौजूद छोटी, दोहराव वाली अनुक्रमिकताओं (सीक्वेंस) की जाँच करता है, जो व्यक्तियों के बीच काफी भिन्न होती हैं।
DNA प्रोफाइलिंग पर अधिक जानकारी:
भारत में DNA प्रोफाइलिंग के संबंध में कानूनी प्रावधान क्या हैं?
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DNA प्रोफाइलिंग की सीमाएँ क्या हैं?
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (a) DNA बारकोडिंग किसका उपसाधन हो सकता है? (2022) उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (B) प्रश्न: विज्ञान में हुए अभिनव विकासों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही नहीं है? (2019) (a) विभिन्न जातियों की कोशिकाओं से लिये गए DNA के खंडों को जोड़कर प्रकार्यात्मक गुणसूत्र रचे जा सकते हैं। उत्तर: (a) |