डिजिटल इंडिया RISC-V (DIR-V) कार्यक्रम | 09 Aug 2023


हाल ही में केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने IIT मद्रास द्वारा चेन्नई में आयोजित डिजिटल RISC-V (DIR-V) संगोष्ठी को वर्चुअल माध्‍यम से संबोधित किया।

  • IIT मद्रास द्वारा आयोजित इस एक दिवसीय संगोष्ठी में DIR-V को लेकर सरकार के विज़न पर ज़ोर देते हुए बताया गया कि वर्तमान में इसका उद्देश्य प्रभावी सार्वजनिक-निजी भागीदारी और IIT मद्रास जैसे उच्च शैक्षिक संस्थानों के सहयोग से RISC-V के लिये एक मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।

डिजिटल इंडिया RISC-V (DIR-V) कार्यक्रम:

  • परिचय:
    • यह एक दूरदर्शी पहल है जिसका उद्देश्य भारत के सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र का उत्थान करना है।
    • इसका प्राथमिक लक्ष्य आत्मनिर्भरता की नींव रखते हुए माइक्रोप्रोसेसर के क्षेत्र में स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देना है।
    • यह कार्यक्रम भविष्य के लिये इसकी दिशा को आकार देने वाले तीन प्रमुख सिद्धांतों पर ज़ोर देता है: नवाचार, कार्यक्षमता और प्रदर्शन।
  • जटिल डिजिटल विश्व में प्रबंधन:
    • यह कार्यक्रम वर्तमान में डिजिटल विश्व में सिलिकॉन चिप्स की बढ़ती मांग को स्वीकार करता है।
    • 5G एवं 6G जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के चलते डिजिटल परिदृश्य को नया आकार देने से DIR-V क्लाउड सेवाओं, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) एवं सेंसर जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एप्लीकेशन खोजे जाने का अनुमान है।
  • उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग में अभिन्न भूमिका:
    • DIR-V को उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग के लिये भारत की आकांक्षाओं के केंद्र में रखा गया है।
    • सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (C-DAC) सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ संगठनों के सहयोग से यह सुनिश्चित करेगा कि DIR-V इन महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

RISC-V:

  • RISC शब्द का अर्थ है “Reduced Instruction Set Computer”, जो कुछ कंप्यूटर निर्देशों को निष्पादित करता है, जबकि ‘V’ 5वीं पीढ़ी के लिये है।
  • यह एक ओपन-सोर्स हार्डवेयर ISA (Instruction Set Architecture) है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के अंतिम अनुप्रयोगों को लक्षित करने वाले कस्टम प्रोसेसर के विकास के लिये किया जाता है।
  • यह डिज़ाइनरों को हज़ारों संभावित कस्टम प्रोसेसर बनाने में भी सक्षम बनाता है, जिससे बाज़ार में तेज़ी से पहुँचने की सुविधा प्राप्त होती है। प्रोसेसर IP की समानता से सॉफ्टवेयर विकास में लगने वाले समय की भी बचत होती है।
  • RISC-V प्रोसेसर के पहनने योग्य वस्तुओं, IoT, स्मार्टफोन, ऑटोमोटिव, एयरोस्पेस और अन्य क्षेत्रों में बहुमुखी अनुप्रयोग हैं, जो विद्युत दक्षता, प्रदर्शन अनुकूलन एवं सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन प्रोसेसर के लिये कम जगह की आवश्यकता होती है, साथ ही ये जटिल गणना वाले कार्यों हेतु उत्कृष्ट हैं।
    • RISC का आविष्कार प्रोफेसर डेविड पैटरसन द्वारा वर्ष 1980 के आसपास कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में किया गया था।

उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (C-DAC):

  • यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) के तहत अग्रणी अनुसंधान एवं विकास संस्थान है, जो IT, इलेक्ट्रॉनिक्स और संबंधित क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखता है।
  • सुपरकंप्यूटर आयात की अस्वीकृति का मुकाबला करने के लिये वर्ष 1988 में स्थापित C-DAC की शुरुआत भारत के पहले सुपरकंप्यूटर PARAM के विकास के साथ हुई।
  • C-DAC देश की नीतियों और बाज़ार की आवश्यकताओं के अनुरूप IT उत्पादों एवं समाधानों को विकसित तथा प्रसारित करने के लिये अपनी विशेषज्ञता का निरंतर नवाचार व लाभ उठाकर भारत की IT क्रांति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

स्रोत: पी.आई.बी.