कोर-मेंटल कनेक्टिविटी | 11 Jun 2025

स्रोत: एल.एस.

चर्चा में क्यों?

जर्मन शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए एक अध्ययन में पता चला है कि सोना, प्लेटिनम और रुथेनियम जैसी कीमती धातुएँ पृथ्वी के कोर से ज्वालामुखीय गतिविधियों के माध्यम से सतह तक रिस रही हैं। यह निष्कर्ष लंबे समय से चली आ रही इस धारणा को चुनौती देता है कि पृथ्वी का कोर भू-रासायनिक रूप से पृथक है।

Interior_of_Earth

पृथ्वी के कोर और मेंटल के बीच अंतःक्रिया पर हालिया अध्ययनों से प्राप्त प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • कोर-मेंटल सामग्री का विनिमय: शोधकर्त्ताओं ने हवाई से प्राप्त ज्वालामुखीय चट्टानों का अध्ययन किया, जो कोर-मेंटल सीमा से उठने वाले मेंटल प्लूम्स (गर्म चट्टान स्तंभ) द्वारा निर्मित हुए थे।
    • यह पहले की अपेक्षा कोर और मेंटल के बीच अधिक संपर्क को उजागर करता है।
      • उन्होंने रूथेनियम-100 (^100Ru) के उच्च स्तर का पता लगाया, जो मुख्य रूप से पृथ्वी के कोर में पाया जाने वाला एक आइसोटोप है, जो दर्शाता है कि कोर सामग्री मेंटल प्लूम्स के माध्यम से ऊपर की ओर जाती है।
  • पृथ्वी के कोर में मौजूद कीमती धातुएँ: पृथ्वी के कोर में ग्रह के कुल सोने का 99.999% से अधिक भाग मौजूद है, साथ ही इसमें प्लेटिनम, इरिडियम और रूथेनियम जैसे अन्य साइडरोफाइल (लौह-प्रेमी) तत्त्व भी पाए जाते हैं।
    • परंपरागत रूप से इन धातुओं को अप्राप्य माना जाता था, क्योंकि कोर को मेंटल और क्रस्ट से अलग करने वाली मोटी चट्टानों की परत मौजूद है।

Earth_Mantle_And_Core

पृथ्वी के मेंटल और कोर से जुड़े प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • मेंटल:
    • संरचना: मेंटल पृथ्वी के आयतन का लगभग 83% और द्रव्यमान का 67% भाग बनाता है। यह मोहो असंततता (लगभग 7-35 किमी. गहराई) से प्रारंभ होकर कोर-मेंटल सीमा तक फैला होता है, जिसकी गहराई लगभग 2,900 किमी. होती है।
      • यह मुख्यतः लौह और मैग्नीशियम से भरपूर सिलिकेट चट्टानों से बना होता है, जिसकी तत्वीय संरचना लगभग 45% ऑक्सीजन, 21% सिलिकॉन तथा 23% मैग्नीशियम होती है।
        • मेंटल में पाए जाने वाले सामान्य सिलिकेट्स में ओलिवाइन, गार्नेट और पाइरॉक्सीन शामिल हैं।
    • घनत्व और स्थिति: घनत्व और अवस्था: ऊपरी मेंटल का घनत्व 2.9 से 3.3 ग्राम/सेमी³ तक होता है, जबकि निचले मेंटल का घनत्व 3.3 से 5.7 ग्राम/सेमी³ तक होता है।
      • एस्थेनोस्फीयर ऊपरी मैंटल की एक परत है, जबकि निचला मैंटल पृथ्वी में गहराई तक फैला हुआ है।
      • यद्यपि एस्थेनोस्फीयर आंशिक रूप से पिघला हुआ है और बह सकता है, लेकिन निचले मेंटल में अत्यधिक दाब के कारण उच्च तापमान के बावजूद यह ठोस अवस्था में बना रहता है।
    • तापमान प्रवणता और संवहन: तापमान भू-पर्पटी के पास लगभग 200°C से बढ़कर कोर-मेंटल सीमा पर लगभग 4,000°C हो जाता है।
      • यह तापमान अंतर मेंटल संवहन को प्रेरित करता है, जहाँ ठोस सिलिकेट चट्टान प्लास्टिक की तरह व्यवहार करती है और धीरे-धीरे प्रसारित होती है।
      • यह संवहन सतह पर टेक्टोनिक प्लेटों की गति के लिये मूलभूत है।
    • भूकंपीयता: उच्च दाब की स्थितियों के बावजूद, जो सामान्यतः भूकंपीय गतिविधि को बाधित करती है, उपद्रवण क्षेत्रों (Subduction Zones) में मेंटल की गहराई तक लगभग 670 किमी. तक भूकंप आते हैं।
  • पृथ्वी का कोर:
    • संरचना: पृथ्वी का कोर मेंटल के नीचे स्थित है जो लगभग 2,900 किमी. की गहराई से शुरू होकर लगभग 6,371 किमी पर ग्रह के केंद्र तक फैला हुआ है।
      • यह मुख्यतः लोहे और निकल तथा कुछ हल्के तत्त्वों से बना है।
    • बाह्य कोर: 2,900 किमी. से लेकर लगभग 5,150 किमी. गहराई तक फैला हुआ, बाह्य कोर एक पिघली हुई तरल परत है जो लगभग 2,250 किमी. मोटी है तथा इसका तापमान 4,000°C से 6,000°C के बीच है।
      • इसके तरल लोहे की गति जियोडायनेमो प्रक्रिया के माध्यम से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करती है। तरल अवस्था के कारण इसका घनत्व आंतरिक कोर से कम है।
  • आंतरिक कोर: पृथ्वी के केंद्र से  लगभग 5,150 किमी. की गहराई पर स्थित, आंतरिक कोर लगभग 1,220 किमी. की त्रिज्या वाला एक ठोस गोला है। 
    • 5,000°C से 7,000°C तक के अत्यंत उच्च तापमान के बावजूद, यह ऊपरी परतों द्वारा डाले गए अत्यधिक दबाव के कारण ठोस बना रहता है।
    • मुख्य रूप से लौह-निकल मिश्र धातु से बना आंतरिक कोर अत्यधिक घना है और पृथ्वी के आंतरिक ताप स्थानांतरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
    • यह ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र को भी प्रभावित करता है, हालाँकि जियोडायनेमो प्रभाव (चुंबकीय क्षेत्र निर्माण) मुख्य रूप से बाहरी कोर में घूमते तरल लोहे द्वारा संचालित होता है।
    • आंतरिक कोर उच्च तापीय और विद्युत चालकता प्रदर्शित करता है तथा पृथ्वी की सतह की तुलना में पूर्व की ओर थोड़ा अधिक तेज़ी से घूमता है तथा लगभग प्रत्येक 1,000 वर्ष में एक अतिरिक्त चक्कर पूरा करता है
    • यह बाहरी कोर से लेहमैन असंततता नामक सीमा द्वारा अलग होता है।

एस्थेनोस्फीयर:

  • एस्थेनोस्फीयर ऊपरी मेंटल परत है जो 80 से 200 किमी. गहराई पर स्थित है, जो कठोर स्थलमंडल के नीचे स्थित है। 
  • यह लचीला, यांत्रिक रूप से कमज़ोर और अत्यधिक चिपचिपा है, जिसका घनत्व भू-पर्पटी से ज़्यादा है। ये गुण टेक्टोनिक प्लेट की गति और आइसोस्टेटिक समायोजन को सुविधाजनक बनाते हैं। 
    • यह ज्वालामुखी विस्फोटों के लिये मैग्मा का मुख्य स्रोत भी है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. पृथ्वी ग्रह की संरचना में प्रावार (मेंटल) के नीचे, कोर मुख्य रूप से निम्नलिखित में से एक से बना है? (2009)

(a) एल्युमीनियम
(b) क्रोमियम
(c) आयरन
(d) सिलिकॉन

उत्तर: (c)