गिद्धों का संरक्षण | 10 Oct 2022

हाल के एक अध्ययन के अनुसार, गिद्ध ज़्यादातर संरक्षित क्षेत्रों (Protected Areas-PAs) के बाहर भोजन  (मांस भक्षण) करते हैं और यदि इन स्थानों से ज़हर युक्त शवों जैसे खतरों को हटा दिया जाए, तो गिद्धों की आबादी में आने वाली गिरावट को रोका जा सकता है।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • परिचय:
    • भोजन करते समय गिद्धों ने उच्च पशुधन घनत्व वाले क्षेत्रों से परहेज किया, जो बताता है कि गिद्ध मुख्य खाद्य स्रोत के रूप में मवेशियों का उपयोग नहीं करते थे और उच्च मानव निवास वाले क्षेत्रों से बचते थे।
    • गिद्धों का मुख्य भोजन स्रोत मवेशी नहीं होने के संबंध में किये गए अध्ययन का निष्कर्ष भारत के संदर्भ में सही नहीं था।
      • भारत में गिद्धों की आबादी में भारी गिरावट मुख्य रूप से मवेशियों पर पशु चिकित्सा में डाइक्लोफेनाक के उपयोग के कारण होती है, अतः स्पष्ट रूप से गिद्ध पशुओं के मांस का अधिक सेवन करते हैं।
  • संरक्षण के लिये सुझाव:
    • इनके निवास स्थान को समझने के साथ कुछ आवासों (जैसे कि संरक्षित क्षेत्रों और उसके बाहर) में इनके व्यवहार को समझना भी इनके संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • घोसले और  इनके निवास स्थलों के पास खतरों की पहचान करना तथा उन्हें दूर करने के साथ  इन्हें भोजन एवं पानी उपलब्ध कराना आवश्यक है।

भारत में गिद्धों की प्रजातियाँ:

  • परिचय:
    • यह मरा हुआ जानवर खाने वाले पक्षियों की 22 प्रजातियों में से एक है जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहते हैं।
    • ये प्रकृति के कचरा संग्रहकर्त्ता के रूप में एक महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं और पर्यावरण से कचरा हटाकर उसे साफ रखने में मदद करते हैं।
      • गिद्ध वन्यजीवों की बीमारियों को नियंत्रण में रखने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • भारत गिद्धों की 9 प्रजातियों यथा- ओरिएंटल व्हाइट बैक्ड(Oriental White Backed), लॉन्ग बिल्ड (Long Billed), स्लेंडर-बिल्ड (Slender Billed), हिमालयन (Himalayan), रेड हेडेड (Red Headed), मिस्र देशीय (Egyptian), बियरडेड (Bearded), सिनेरियस (Cinereous) और यूरेशियन ग्रिफॉन (Eurasian Griffon) का घर है।
      • इन 9 प्रजातियों में से अधिकांश के विलुप्त होने का खतरा है।
      • बियरडेड, लॉन्ग बिल्ड और ओरिएंटल व्हाइट बैक्ड वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act), 1972 की अनुसूची-1 में संरक्षित हैं। बाकी 'अनुसूची IV' के अंतर्गत संरक्षित हैं।

IUCN स्थिति:

Wildlife-protection

  • खतरे:
    • डाइक्लोफेनाक (Diclofenac) जैसे विषाक्त जो पशुओं के लिये दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है।
    • मानवजनित गतिविधियों के कारण प्राकृतिक आवासों का नुकसान।
    • भोजन की कमी और दूषित भोजन।
    • बिजली लाइनों से करंट।
  • संरक्षण के प्रयास:
    • हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने देश में गिद्धों के संरक्षण के लिये एक 'गिद्ध कार्ययोजना 2020 -25' (Vulture Action Plan 2020-25) शुरू की।
      • यह डिक्लोफेनाक का न्यूनतम उपयोग सुनिश्चित करेगी और गिद्धों हेतु मवेशियों के शवों के प्रमुख भोजन की विषाक्तता को रोकेगी।
    • भारत में गिद्धों की मौत के कारणों पर अध्ययन करने के लिये वर्ष 2001 में हरियाणा के पिंजौर में एक गिद्ध देखभाल केंद्र (Vulture Care Centre-VCC) स्थापित किया गया।
    • कुछ समय बाद वर्ष 2004 में गिद्ध देखभाल केंद्र को उन्नत (Upgrade) करते हुए भारत के पहले ‘गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र’ (VCBC) की स्थापना की गई।
      • वर्तमान में भारत में नौ गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र हैं, जिनमें से तीन बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (Bombay Natural History Society-BNHS) द्वारा प्रत्यक्ष रूप से प्रशासित किये जा रहे हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: गिद्ध जो कुछ साल पहले भारतीय ग्रामीण इलाकों में बहुत आम हुआ करते थे, आजकल कम ही देखे जाते हैं। इसके लिये ज़िम्मेदार है (2012)

(a) नई आक्रामक प्रजातियों द्वारा उनके घोंसले का विनाश
(b) पशु मालिकों द्वारा अपने रोगग्रस्त मवेशियों के इलाज हेतु इस्तेमाल की जाने वाली दवा
(c) उपलब्ध भोजन की कमी
(d) व्यापक और घातक बीमारी।

उत्तर: (b)

स्रोत: डाउन टू अर्थ