रेलवे सुरक्षा आयोग | 07 Jun 2023

हाल ही में ओडिशा में हुई दुखद ट्रेन दुर्घटना की जाँच दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र के रेलवे सुरक्षा आयोग द्वारा की जा रही है।

रेलवे सुरक्षा आयोग (Commission of Railway Safety- CRS): 

  • परिचय: 
    • यह एक सरकारी निकाय है जो देश में रेलवे सुरक्षा प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।
    • यह रेलवे अधिनियम, 1989 में निर्दिष्ट निरीक्षणात्मक, जाँच और सलाहकारी कार्यों के साथ-साथ रेल यात्रा एवं संचालन जैसे सुरक्षा मामलों से संबंधित है
    • इसका मुख्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश में है।
  • मंत्रालय: 
    • यह रेल मंत्रालय के बजाय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ( Ministry of Civil Aviation- MoCA) के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
      • इसका कारण CRS को देश के रेलवे प्रतिष्ठान के प्रभाव से अलग रखना और हितों के टकराव को रोकना है।

CRS का इतिहास:

  • भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905:
    • भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 एवं तत्कालीन वाणिज्य और उद्योग विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, रेलवे बोर्ड को रेलवे अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत सरकार की शक्तियाँ तथा कार्य सौंपे गए थे व भारत में रेलवे संचालन हेतु नियम बनाने के लिये भी अधिकृत किया गया था। 
    • इसने प्रभावी रूप से रेलवे बोर्ड को भारत में रेलवे के लिये सुरक्षा नियंत्रण प्राधिकरण बना दिया।
  • 1935 का भारत सरकार अधिनियम:
    • 1935 के भारत सरकार अधिनियम की धारा 181 (3) में कहा गया है कि यात्रियों और रेलवे कर्मियों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक अलग प्राधिकरण होना चाहिये।  
    • यह प्राधिकरण दुर्घटनाओं की जाँच करेगा और उनके कारणों का निर्धारण करेगा। वर्ष 1939 में ब्रिटिश रेलवे के तत्कालीन मुख्य निरीक्षण अधिकारी ए.एच.एल. माउंट की अध्यक्षता में एक पैनल ने नोट किया कि रेलवे बोर्ड पृथक्करण के तर्क की सराहना करता है तथा "परिवर्तन का स्वागत करेगा" (Would Welcome the Change)।
  • निरीक्षणालय को अलग करना: 
    • मई 1941 में रेलवे निरीक्षणालय को रेलवे बोर्ड से अलग कर दिया गया था तथा उस समय डाक और वायु विभाग के नियंत्रण में रखा गया था।  
    • वर्ष 1961 में निरीक्षणालय का नाम बदलकर CRS (रेलवे सुरक्षा आयुक्त) कर दिया गया। तब से यह केंद्रीय मंत्रालय के अधिकार में है तथा भारत में नागरिक उड्डयन हेतु  ज़िम्मेदार है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस