जलवायु परिवर्तन और कार्यस्थल पर गर्मी का तनाव रिपोर्ट | 27 Aug 2025
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने संयुक्त रूप से "जलवायु परिवर्तन और कार्यस्थल पर गर्मी का तनाव (हीट स्ट्रेस)" शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व भर के श्रमिकों के लिये बढ़ते अत्यधिक तापमान से उत्पन्न वैश्विक स्वास्थ्य जोखिमों पर प्रकाश डाला गया है।
श्रमिकों पर हीट स्ट्रेस (गर्मी का तनाव) का प्रभाव
- मुख्य निष्कर्ष:
- अत्यधिक हीट वेव लगातार और तीव्र होती जा रही हैं, कई क्षेत्रों में दिन का तापमान 40-50 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो रहा है, जिससे बाहरी और भीतरी दोनों प्रकार के कामगार प्रभावित हो रहे हैं।
- 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर हर डिग्री पर श्रमिकों की उत्पादकता 2-3% कम हो जाती है। स्वास्थ्य जोखिम जिनमें हीटस्ट्रोक, निर्जलीकरण, गुर्दे और तंत्रिका संबंधी विकार शामिल हैं, जो अब लगभग आधी वैश्विक आबादी को प्रभावित करते हैं तथा हीट स्ट्रेस भूमध्यरेखीय क्षेत्रों से आगे भी फैल रहा है।
- विश्व स्तर पर 2.4 बिलियन से अधिक श्रमिक अत्यधिक गर्मी का सामना करते हैं, जिसके कारण प्रतिवर्ष 22.85 मिलियन व्यावसायिक दुर्घटनाएँ होती हैं (ILO)।
- कमज़ोर समूह: कृषि, निर्माण और मत्स्य पालन में मैनुअल श्रमिक, मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध वयस्क, कम आय वाली आबादी, विकासशील देशों में बच्चे और बुजुर्ग।
- सिफारिशें: व्यावसायिक ऊष्मा-स्वास्थ्य नीतियाँ तैयार करना; श्रमिकों, नियोक्ताओं और स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच जागरूकता बढ़ाना; स्थानीय रूप से प्रासंगिक रणनीतियों के सह-निर्माण में हितधारकों को शामिल करना।
- व्यावहारिक, किफायती और सतत् समाधान लागू करना; प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना; अनुसंधान और मूल्यांकन को बढ़ावा देना।
- यह संयुक्त राष्ट्र SDG 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण) , SDG 8 (सभ्य कार्य और आर्थिक विकास) और SDG 10 (कम असमानताएँ) के अनुरूप है।
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