हैज़ा | 27 Jul 2022

शोधकर्त्ताओं ने हैजा पैदा करने वाले बैक्टीरिया में रोगाणुरोधी प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट की पहचान की है।

निष्कर्ष:

  • हैजा जीवाणु के दो सौ से अधिक सेरोग्रुप ज्ञात हैं, जिनमें से केवल O1 और O139 जीनोम ही संक्रमण फैलाते हैं तथा महामारी का कारण बनते हैं।
    • शोधकर्त्ताओं ने O139 के जीनोम का अध्ययन किया और O1 के जीनोम से होने वाली मौतों  के कारणों का पता लगाया।
  • O139 में दो प्रमुख जीनोमिक विकासवादी परिवर्तन हुए, पहला हैजा विष के एक प्रकार से संबंधित है और दूसरा रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) से होने वाली हानि से संबंधित है।
  • हैजा के विष जीन और रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) पोर्टफोलियो में दो मुख्य संशोधन थे।
  • O139 की AMR क्षमता में कमी के साथ इसने संभावित रूप से O1 के मुकाबले अपना प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ खो दिया।

हैजा:

  • परिचय:
    • यह एक जानलेवा संक्रामक रोग है और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये खतरा है।
    • हैजा एक तीव्र, अतिसार की बीमारी है जो विब्रियो कोलेरी जीवाणु से आँत के संक्रमण के कारण होती है।
    • संक्रमण अक्सर हल्का या लक्षणों के बिना होता है, लेकिन कभी-कभी गंभीर हो सकता है।
  • लक्षण:
    • डायरिया
    • उल्टी
    • पैर में ऐंठन
  • संक्रमण:
    • दूषित जल पीने या दूषित भोजन खाने से व्यक्ति को हैजा हो सकता है।
    • सीवेज और पीने के पानी के अपर्याप्त उपचार वाले क्षेत्रों में रोग तेज़ी से फैल सकता है।
  • वैक्सीन:
    • वर्तमान में तीन- डुकोरल, शंचोल और यूविचोल-प्लस हैजा के टीके (OCV) हैं।
    • सभी तीन टीकों को पूर्ण सुरक्षा के लिये दो खुराक की आवश्यकता होती है।

सिफारिशें:

  • निरंतर निगरानी आवश्यक है क्योंकि यह देखना आवश्यक है कि क्या कोई सीरोटाइप और सेरोग्रुप समय के साथ एंटीबायोटिक प्रतिरोध प्राप्त कर रहे हैं या नहीं।
  • सर्वोत्तम सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणाम सुनिश्चित करने के लिये यह महत्त्वपूर्ण है कि टीकों और उपचारों का नियमित रूप से पुनर्मूल्यांकन किया जाए ताकि किसी भी नए विकसित होने वाले वैरिएंट्स की दक्षता का पता लगाया जा सके।

स्रोत: द हिंदू