चीन ‘विकासशील के दर्जे’ को अनुरक्षित रखते हुए WTO के विशेष लाभ छोड़ने को तैयार | 29 Sep 2025
चीन ने घोषणा की है कि वह भविष्य में विश्व व्यापार संगठन (WTO) समझौतों में विशेष एवं विभेदक उपचार (SDT) की मांग नहीं करेगा, हालाँकि वह विकासशील देश का दर्जा बरकरार रखेगा।
- चीन, जो अब 19 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वर्ष 2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल होने के बाद से 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ चुका है।
विश्व व्यापार संगठन विकासशील राष्ट्र का दर्जा
- स्व-घोषणा: विश्व व्यापार संगठन में विकासशील या विकसित राष्ट्रों की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है; सदस्य स्वयं अपनी स्थिति निर्धारित करते हैं, हालाँकि यदि लाभों का दुरुपयोग किया जाता है तो अन्य देश चुनौती दे सकते हैं।
- विश्व व्यापार संगठन में स्व-घोषित विकासशील देश का दर्जा सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (GSP) जैसी एकतरफा योजनाओं के तहत लाभ की गारंटी नहीं देता है।
- चीन द्वारा SDT (विशेष एवं भिन्न व्यवहार) त्यागने का निर्णय स्वैच्छिक है, बाध्यकारी नहीं।
- यह विकासशील देश का दर्जा और पिछले अधिकारों को बरकरार रखेगा, साथ ही स्वयं को एक ज़िम्मेदार प्रमुख विकासशील देश के रूप में पेश करेगा जो बहुपक्षवाद को मज़बूत करने हेतु सख्त व्यापार दायित्वों को स्वीकार करने के लिये तैयार है।
- स्थिति का महत्त्व: SDT विकासशील तथा कम विकसित देशों को दायित्वों को पूरा करने में अधिक लचीलापन प्रदान करता है, जैसे कि लंबी समय-सीमा, अधिमान्य उपचार, तकनीकी सहायता और कुछ छूटें।
- इसका उद्देश्य सदस्य देशों की विभिन्न क्षमताओं को स्वीकार करते हुए व्यापार नियमों में समानता को बढ़ावा देना है।
- निहितार्थ: यह कदम विवादास्पद विकसित बनाम विकासशील बहस को दरकिनार करके एक प्रमुख वार्ता गतिरोध को समाप्त करता है, तथा संभावित रूप से नए व्यापार समझौतों पर प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है।
- यह घटनाक्रम भारत को WTO सुधारों का समर्थन करने का अवसर देता है, जिसमें बड़े मध्यम-आय वाले देशों और निम्न-आय वाले विकासशील देशों के बीच अंतर किया जा सके, तथा SDT के लिये स्पष्ट और न्यायसंगत मानदंड बनाए जा सकें ताकि ‘स्व-घोषणा’ से जुड़ी अस्पष्टताओं का अंत हो।
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