चीन की ‘वाइल्डलाइफ डिप्लोमेसी’ | 27 Oct 2025

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

चीन की "वाइल्डलाइफ डिप्लोमेसी" एक नए चरण में प्रवेश कर गई है, जिसमें 10 वर्षीय समझौते के तहत यूरोपीय चिड़ियाघरों (फ्राँस और बेल्ज़ियम में) को गोल्डन स्नब-नोज़्ड मंकीज़ (राइनोपिथेकस रोक्सेलाना) ऋणस्वरूप दिये गए हैं।

  • ये मंकीज़, जो मध्य चीन के लिये विशिष्ट हैं, अब नए “एनिमल एंबेसडर” के रूप में प्रस्तुत किये जा रहे हैं और संभवतः चीन की प्रसिद्ध “पांडा डिप्लोमेसी” के उत्तराधिकारी बन सकते हैं।
    • चीन द्वारा लंबे समय से कूटनीतिक उद्देश्यों के लिये एनिमल का उपयोग करने की परंपरा ने वन्यजीव आधारित कूटनीति की नींव रखी है।
  • चीन की पांडा डिप्लोमेसी: इसकी शुरुआत वर्ष 1957 में सोवियत संघ को पांडा भेंट करने से हुई थी और बाद में वर्ष 1972 में उन्हें अमेरिका भेजा गया।
    • समय के साथ इसने एक दीर्घकालिक लीज प्रणाली का रूप ले लिया, जिसका उद्देश्य संरक्षण और वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देना था।
    • इन पहलों का उद्देश्य भू-राजनीतिक तनावों के बीच वन्यजीव कूटनीति के माध्यम से वैज्ञानिक संबंधों को मज़बूत करना और चीन की वैश्विक छवि को सुदृढ़ करना है।
  • भारत के लिये सबक: जैव विविधता से समृद्ध देश होने के नाते, भारत अपनी सांस्कृतिक कूटनीति और संरक्षण साझेदारियों में प्रतीकात्मक प्रजातियों (जैसे बंगाल टाइगर, भारतीय गैंडा) की भूमिका पर विचार कर सकता है।

गोल्डन स्नब-नोज़्ड मंकीज़

  • यह एक प्राइमेट प्रजाति है, जो चीन के मध्य और दक्षिण-पश्चिमी पर्वतीय वनों में पाई जाती है।
  • IUCN के अनुसार यह संकटग्रस्त (Endangered) प्रजाति है । इसके शरीर पर सुनहरे-नारंगी रंग का फर, नीला चेहरा और ठंड के अनुकूल इसके शरीर पर मौजूद बाल इसकी विशेषताएँ हैं।
  • यह चीनी कला और लोककथाओं में गहरी सांस्कृतिक महत्ता रखता है, जिसमें शास्त्रीय साहित्य के प्रसिद्ध पात्र “मंकी किंग” से इसका संबंध भी शामिल है।

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