आगामी जनगणना में जाति गणना | 02 May 2025
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
राजनीतिक कार्य मंत्रिमंडलीय समिति (प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में) ने आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल किये जाने को स्वीकृति दे दी है।
- जाति संबंधी आँकड़ों का ऐतिहासिक संदर्भ: अंतिम विस्तृत जाति संबंधी आँकड़े 1931 की जनगणना में दर्ज किये गए थे। हालाँकि 1941 की जनगणना में भी जाति संबंधी जानकारी एकत्र की गई थी, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के कारण इसे जारी नहीं किया गया था।
- वर्ष 1951 से भारत की जनगणना में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के आँकड़े शामिल किये जाते रहे हैं, लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के जातिगत आँकड़े मुख्य रूप से दर्ज नहीं किये गए।
- जातिगत आँकड़ों के अभाव के कारण OBC वर्ग के अनुमान को लेकर अस्पष्टता है। मंडल आयोग (1979) के अनुसार यह 52% था।
- वर्ष 2011 की सामाजिक-आर्थिक जाति गणना (SECC) का उद्देश्य बेहतर कल्याण लक्ष्य निर्धारण करना था, लेकिन इसका अधिकांश जातिगत डेटा अप्रकाशित है, जिससे इसका नीतिगत प्रभाव सीमित हो गया है।
- वर्ष 1951 से भारत की जनगणना में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के आँकड़े शामिल किये जाते रहे हैं, लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के जातिगत आँकड़े मुख्य रूप से दर्ज नहीं किये गए।
- जनगणना: भारत की पहली समन्वित जनगणना वर्ष 1881 में भारत के तत्कालीन जनगणना आयुक्त डब्ल्यू.सी. प्लोडेन द्वारा आयोजित की गई थी।
- वर्तमान में, जनगणना का संचालन गृह मंत्रालय द्वारा भारत के महारजिस्ट्रार और जनगणना आयुक्त के माध्यम से किया जाता है।
- यद्यपि भारतीय जनगणना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत विधिक ढाँचा प्रदान किया गया है, लेकिन इसमें इसके आयोजन को लेकर किसी विशिष्ट आवृत्ति को अनिवार्य नहीं किया गया है, जिससे दशवर्षीय पैटर्न एक संवैधानिक आवश्यकता न होकर एक परिपाटी बन गई है।
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