कैबिनेट ने इरेडा के लिये कोष को मंजूरी दी | 21 Jan 2022

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) में 1,500 करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी दी है।

  • इससे इरेडा अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को 12,000 करोड़ रुपए उधार देने में सक्षम होगा।
  • इससे पहले इरेडा द्वारा 'सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2021' के एक भाग के रूप में 'व्हिसलब्लोअर पोर्टल' लॉन्च किया गया था।

प्रमुख बिंदु:

  • कोष का महत्त्व:
    • इस इक्विटी निवेश से लगभग 10,200 रोज़गार के अवसरों के सृजन में मदद मिलेगी और  कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में लगभग 7.49 मिलियन टन की कमी आएगी।
    • भारत सरकार द्वारा 1500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त इक्विटी निवेश इरेडा को सक्षम बनाएगा:
      • अक्षय ऊर्जा (RE) के क्षेत्र में लगभग 12000 करोड़ रुपए का ऋण प्रदान कर 3500-4000 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता को सुविधाजनक बनाना।
      • यह अपने नेटवर्थ को बढ़ाने हेतु RE के क्षेत्र में वित्तपोषण में मदद कर भारत सरकार को लक्ष्यों में बेहतर योगदान देगा।
      • अपने उधार और उधार संचालन को सुविधाजनक बनाने हेतु  पूंजी-से-जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (CAR) में सुधार करना।
        • CRAR, जिसे CAR (पूंजीगत पर्याप्तता अनुपात) के रूप में भी जाना जाता है, यह सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है जो वित्तीय संगठनों के पास दिवालिया होने से पहले उनके पास उचित मात्रा में नुकसान को अवशोषित करने हेतु पर्याप्त हो।
  • IREDA:
    • यह भारत सरकार के ‘नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय’ के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्यरत एक मिनीरत्न (श्रेणी 1) कंपनी है।
    • इसका कार्य नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संबंधित परियोजनाओं को प्रोत्साहित करना तथा विकास हेतु इन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
    • इसे ‘कंपनी अधिनियम, 1956’ की धारा 4’ए’ के तहत ‘सार्वजनिक वित्तीय संस्थान’ (Public Financial Institution) के रूप में अधिसूचित किया गया है। 
    • इसे ‘भारतीय रिज़र्व बैंक’ के नियमों के अंतर्गत ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी’ (Non-Banking Financial Company) के रूप में पंजीकृत किया गया है।
    • इसे वर्ष 1987 में ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्था’ के रूप में एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के तौर पर गठित किया गया था।
    • इसका उद्देश्य नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संबंधित परियोजनाओं को प्रोमोट करना, इनका विकास करना तथा इन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

स्रोत: पी.आई.बी