ब्लैक बॉक्स | 16 Jun 2025

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो (AAIB) ने अहमदाबाद में एयर इंडिया की उड़ान बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर एयरलाइन के दुर्घटना स्थल से “ब्लैक बॉक्स” बरामद किया।

ब्लैक बॉक्स क्या है और वे कैसे कार्य करते हैं?

  • परिचय: इसका आविष्कार वर्ष 1954 में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डॉ. डेविड वॉरेन ने किया था और वर्ष 1960 में इसे अनिवार्य कर दिया गया।
    • विमानन में ब्लैक बॉक्स दो प्राथमिक उपकरणों से बने होते हैं: डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR), जो उड़ान के दौरान निरंतर डेटा रिकॉर्ड करते हैं।
    • प्रमुख विशेषताएँ: इसके नाम में "ब्लैक" शब्द होने के बावजूद, यह चमकीले नारंगी रंग का होता है (दृश्यता के लिये परावर्तक टेप के साथ), आयताकार आकार का होता है और अत्यधिक टक्कर तथा आग को सहने में सक्षम क्रैश-प्रतिरोधी यंत्र होता है।
      • यह स्टील या टाइटेनियम जैसे मज़बूत पदार्थों से बना होता है और विमान के पिछले हिस्से में लगाया जाता है, जहाँ दुर्घटना का प्रभाव सामान्यतः सबसे कम होता है।
  • कार्य प्रणाली: DFDR विमान की गति, ऊँचाई, इंजन प्रदर्शन, दिशा तथा फ्लाइट कंट्रोल गतिविधियों जैसे महत्त्वपूर्ण उड़ान मानकों को रिकॉर्ड करता है और उड़ान के पिछले 25+ घंटों का डेटा संग्रहित करता है। 
    • CVR कॉकपिट से ऑडियो रिकॉर्ड करता है, जिसमें पायलटों के बीच की बातचीत, अलार्म तथा परिवेशीय ध्वनियाँ शामिल होती हैं, और कम-से-कम 2 घंटे का डेटा संग्रहित करता है।
      • यह डेटा उन विसंगतियों या विफलताओं की पहचान के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता, जो तुरंत स्पष्ट नहीं होती हैं।
  • सीमाएँ: यद्यपि ब्लैक बॉक्स विमानन दुर्घटना जाँच में अत्यंत महत्त्वपूर्ण होते हैं, लेकिन वे अचूक नहीं होते।
    • मलेशिया एयरलाइंस फ्लाइट MH370 (2014) के मामले में ब्लैक बॉक्स से संकेत प्राप्त न हो पाने के कारण खोज और जाँच प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई।
    • इसके अतिरिक्त, ब्लैक बॉक्स में वीडियो रिकॉर्डिंग की क्षमता नहीं होती, जिससे कॉकपिट में घटित घटनाओं की पूर्ण जानकारी प्राप्त करना सीमित हो जाता है।

फ्लाइट रिकॉर्डर का ऐतिहासिक विकास

  • 1950: प्रथम पीढ़ी के फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) धातु की फॉयल का उपयोग कर डेटा रिकॉर्ड करते थे।
  • 1953: जनरल मिल्स द्वारा लॉकहीड को पहला वाणिज्यिक FDR बेचा गया।
  • 1954: डॉ. डेविड वॉरेन (ऑस्ट्रेलिया) ने कॉमेट जेट दुर्घटनाओं की जाँच के बाद आधुनिक FDR का आविष्कार किया।
  • 1960: विमानों में FDR और CVR को अनिवार्य किया गया।
  • 1965: दृश्यता के लिये इन्हें चमकीले नारंगी/पीले रंग में रंगना अनिवार्य किया गया।
  • 1990: बेहतर स्थायित्व के लिये चुंबकीय टेप के स्थान पर सॉलिड-स्टेट मेमोरी का उपयोग आरंभ हुआ।

फ्लाइट रिकॉर्डर तकनीक में प्रमुख प्रगति

  • स्वचालित तैनाती योग्य फ्लाइट रिकॉर्डर : ये इकाइयाँ विमान के पिछले हिस्से में स्थापित की जाती हैं तथा वॉयस एवं डेटा रिकॉर्डर को आपातकालीन लोकेटर ट्रांसमीटर (ELT) के साथ संयोजित करती हैं।
    • दुर्घटना के दौरान ये स्वतः सक्रिय हो जाते हैं, जल पर तैरते हैं, स्थान संकेत प्रेषित करते हैं और तेज़ी से खोज एवं बचाव कार्य में सहायता करते हैं।
  • स्वायत्त संकट ट्रैकिंग (Autonomous Distress Tracking): नई पीढ़ी के आपातकालीन लोकेटर ट्रांसमीटर (ELT) संकट की स्थिति में वास्तविक समय में स्थान का पता लगाने की सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे किसी विमान के लापता होने का जोखिम कम हो जाता है।
  • संयुक्त वॉइस एवं डेटा रिकॉर्डर (CVDR): ICAO के उस निर्देश का पालन करते हुए, जिसमें वॉइस रिकॉर्डिंग की अवधि को 2 घंटे से बढ़ाकर 25 घंटे करने की बात कही गई है, आधुनिक विमान अब ऐसे CVDR का उपयोग करते हैं, जो फ्लाइट डेटा और कॉकपिट वॉइस दोनों को संग्रहीत करते हैं।

विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो (AAIB) क्या है?

  • परिचय:विमानन मंत्रालय के तहत वर्ष 2012 में स्थापित, AAIB भारतीय हवाई क्षेत्र में होने वाली विमान दुर्घटनाओं और गंभीर घटनाओं की जाँच करता है।
    • यह जाँच स्वतंत्रता से अलग की जाती है, वैज्ञानिक जाँच सुरक्षा करती है, जिसे पहले नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा नियंत्रित किया जाता था।
  • मुख्य कार्य एवं अधिदेश: विमान (दुर्घटनाओं और घटनाओं की जाँच) नियम, 2017 के अनुसार, AAIB सभी नागरिक विमानों की दुर्घटनाओं और गंभीर घटनाओं की जाँच करता है, जो या तो 2250 किलोग्राम से अधिक भार वाले हों या जिनमें टर्बोजेट इंजन लगे हों।
    • यह सार्वजनिक या परिवहन सुरक्षा के हित में अन्य मामलों पर भी विचार कर सकता है। 
    • इसके मुख्य कार्य में प्रदर्शन करना (जैसे, ब्लैक बॉक्स, गवाहों के बयान) एक साथ करना और उनका विश्लेषण करना, कार्य 

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  • प्रदर्शन का प्रदर्शन करना, सुरक्षा प्रमाण पत्र जारी करना और अंतिम प्रकाशित रिपोर्ट शामिल है। 
  • नियम 3 के अंतर्गत, AAIB द्वारा की जाने वाली जाँच का एकमात्र उद्देश्य दुर्घटनाओं की रोकथाम है, न कि किसी को दोषी ठहराना या उत्तरदायित्व निर्धारित करना।