बटुकेश्वर दत्त की जयंती | 18 Nov 2025
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भगत सिंह के साथ संघर्ष करने वाले वीर क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त को 18 नवंबर को उनकी जयंती पर स्मरण किया गया।
बटुकेश्वर दत्त
- प्रारंभिक जीवन: बटुकेश्वर दत्त एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनका जन्म 18 नवंबर, 1910 को खंडघोष गाँव, बर्दवान ज़िला, पश्चिम बंगाल में हुआ था।
- कॉलेज के दौरान उनकी मुलाकात भगत सिंह से हुई, जिन्होंने उन्हें हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) में शामिल होने के लिये प्रेरित किया तथा वे नौजवान भारत सभा के सक्रिय सदस्य भी बने।
- स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: 8 अप्रैल, 1929 को दत्त और भगत सिंह ने दमनकारी औपनिवेशिक विधेयकों के विरोध में केंद्रीय विधान सभा के खाली स्थान में दो स्वनिर्मित बम फेंके, जिसका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुँचाना नहीं, बल्कि ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध करना था।
- उन्होंने “इंकलाब ज़िंदाबाद” जैसे नारे लगाए, पर्चे बाँटे जिनमें लिखा था कि “अगर बहरे को सुनाना है तो आवाज़ बहुत ऊँची करनी पड़ती है” तथा देशव्यापी ध्यान आकर्षित करने के लिये स्वेच्छा से आत्मसमर्पण कर दिया।
- दत्त को गिरफ़्तार कर लिया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई। उन्होंने कैदियों के अधिकारों के लिये सक्रिय रूप से लड़ाई लड़ी तथा कई भूख हड़तालों में शामिल हुए, जिनमें भगत सिंह के साथ राजनीतिक कैदियों के लिये बेहतर परिस्थितियों की माँग को लेकर की गई 114 दिनों की हड़ताल भी शामिल थी।
- वर्ष 1938 में रिहाई के बाद दत्त भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में शामिल हो गये।
- विरासत: उन्हें एक निस्वार्थ क्रांतिकारी के रूप में याद किया जाता है, जो बिना किसी प्रतिफल की चाह के कार्य करने के स्वामी विवेकानंद के आदर्श को साकार करते हैं।
- उनका अंतिम संस्कार हुसैनीवाला में वहीँ किया गया, जहाँ भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की समाधियाँ स्थित हैं।
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