राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता (BBNJ) समझौता | 06 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय समुद्री जल क्षेत्रों में भारत के हितों की रक्षा हेतु एक नए कानून को लागू करने के लिए 12-सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता (BBNJ) समझौता (हाई सीज़ ट्रीटी) के अनुरूप है।
राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता (BBNJ) समझौता क्या है?
- परिचय: राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता (BBNJ) समझौता या हाई सीज़ ट्रीटी सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) के अंतर्गत एक विधिक ढाँचा है, जिसका उद्देश्य महासागरों के पारिस्थितिकीय स्वास्थ्य की रक्षा करना है।
- वर्ष 2023 में स्वीकृत इसका लक्ष्य प्रदूषण को नियंत्रित करना, जैव विविधता का संरक्षण करना तथा राष्ट्रीय सीमाओं से परे समुद्री संसाधनों के सतत् उपयोग को सुनिश्चित करना है।
- संधि का दायरा:
- समुद्री संरक्षित क्षेत्र (MPA) की स्थापना करना, जो राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्यजीव अभयारण्यों की भाँति कार्य करेंगे, ताकि गतिविधियों को नियंत्रित कर महासागरीय पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण किया जा सके।
- समुद्रतल खनन जैसी दोहन संबंधी गतिविधियों को विनियमित करना तथा समुद्री संसाधनों एवं जीवों से होने वाले लाभ का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना।
- प्रमुख महासागरीय परियोजनाओं के लिये पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) अनिवार्य करना, भले ही वे राष्ट्रीय जल-सीमाओं के भीतर क्यों न संचालित हों, यदि वे उच्च समुद्री क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती हों।
- विकासशील देशों को समुद्री प्रौद्योगिकियों और संसाधनों तक पहुँच उपलब्ध कराना, साथ ही संरक्षण को सुनिश्चित करना।
- हस्ताक्षर और अनुमोदन: अगस्त 2025 तक 140 से अधिक देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किये हैं और 55 देशों ने इसका अनुमोदन किया है।
- भारत ने वर्ष 2024 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, किंतु अभी इसका अनुमोदन नहीं किया है।
- हस्ताक्षर किसी देश की संधि में सम्मिलित होने की मंशा को दर्शाता है, जबकि अनुमोदन किसी देश को विधिक रूप से संधि से बांधता है, और इसकी प्रक्रिया विभिन्न देशों में भिन्न होती है।
हाई सीज़
- परिचय: हाई सीज़ से आशय उन क्षेत्रों से है जो किसी भी देश के राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे स्थित होते हैं।
- सामान्यतः राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार किसी देश के तटीय क्षेत्र से 200 समुद्री मील (370 कि.मी.) तक विस्तारित होता है, जिसे अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) कहा जाता है।
- इन जल क्षेत्रों में संसाधन प्रबंधन पर किसी भी देश का क्षेत्राधिकार या उत्तरदायित्व नहीं होता।
- वर्तमान में हाई सीज़ का केवल लगभग 1% ही संरक्षित है।
- महत्त्व: उच्च समुद्र महासागरों का 64% और पृथ्वी की सतह का 50% घेरते हैं और समुद्री जैवविविधता, जलवायु विनियमन, कार्बन अवशोषण, सौर ऊर्जा संग्रहण और ताप वितरण के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- वे मुख्य संसाधन प्रदान करते हैं जैसे समुद्री भोजन, कच्चे माल, आनुवंशिक संसाधन और औषधीय यौगिक।
संयुक्त राष्ट्र समुद्र विधि समझौता (UNCLOS)
- UNCLOS, जिसे समुद्र कानून भी कहा जाता है, 1982 में अपनाया और हस्ताक्षरित एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जिसने 1958 की जिनेवा कन्वेंशन की जगह ली।
- यह समुद्री और नौसैनिक गतिविधियों के लिये विधिक ढाँचा प्रदान करती है।
- यह महासागर क्षेत्र को 5 क्षेत्रों में विभाजित करता है - आंतरिक जल, क्षेत्रीय समुद्र, सन्निहित क्षेत्र, विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और उच्च समुद्र।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्रिलिम्स
प्रश्न. 'ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
- यह चीन और रूस को छोड़कर प्रशांत महासागर तटीय सभी देशों के मध्य एक समझौता है।
- यह केवल तटवर्ती सुरक्षा के प्रयोजन से किया गया सामरिक गठबंधन है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (d)
मेन्स
प्रश्न. दक्षिण चीन सागर के मामले में समुद्री भू-भागीय विवाद और बढ़ता तनाव समस्त क्षेत्र में नौपरिवहन और ऊपरी उड़ान की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिये समुद्री सुरक्षा की आवश्यकता की अभिपुष्टि करते हैं। इस संदर्भ में भारत तथा चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कीजिये। (2014)