बायोएक्टिव पेप्टाइड्स | 20 Aug 2025

स्रोत: पी. आई. बी.

एक अध्ययन में पाया गया है कि पारंपरिक किण्वित (फरमेंटेड) खाद्य पदार्थों से प्राप्त बायोएक्टिव पेप्टाइड्स (BAP) विशेष जनसंख्या समूहों की आवश्यकताओं के अनुसार स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं। यह खोज भारत में व्यक्तिगत पोषण (पर्सनलाइज़्ड न्यूट्रिशन) के क्षेत्र में नए अवसर खोलती है।

  • बायोएक्टिव पेप्टाइड्स (BAPs): बायोएक्टिव पेप्टाइड्स प्रोटीन के ऐसे छोटे अंश होते हैं जो केवल आवश्यक अमीनो एसिड का स्रोत बनने से कहीं आगे जाकर मानव या पशुओं को विशेष स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।
    • नियमित प्रोटीन के विपरीत, जो नए प्रोटीन बनाने के लिये अलग-अलग अमीनो एसिड में टूट जाते हैं, बायोएक्टिव पेप्टाइड्स (BAPs) अमीनो एसिड की छोटी शृंखलाएँ (आमतौर पर 2 से 20 तक) होती हैं, जो पाचन प्रक्रिया के बाद भी जीवित रहती हैं और सीधे शारीरिक क्रियाविधियों को प्रभावित कर सकती हैं।
    • ये मूलतः किसी बड़े प्रोटीन संरचना के भीतर "छिपे" या "संकेतित" (एन्क्रिप्टेड) रूप में मौजूद होते हैं।
      • जब मूल प्रोटीन पाचन, किण्वन (फरमेंटेशन) या अन्य प्रसंस्करण प्रक्रियाओं के दौरान एंजाइमों द्वारा टूटता है, तब ये बायोएक्टिव पेप्टाइड्स "सक्रिय" या "मुक्त" हो जाते हैं।
    • BAP इलेक्ट्रोस्टैटिक बलों, हाइड्रोजन बॉन्डिंग और हाइड्रोफोबिक इंटरैक्शन के माध्यम से जैव अणुओं के साथ अंतःक्रिया करते हैं, जिससे रोगाणुरोधी, एंटीहाइपरटेंसिव, एंटीऑक्सिडेंट और प्रतिरक्षा-संशोधक प्रभाव प्रदान करते हैं।
    • पेप्टाइड्स और प्रोटीन दोनों पेप्टाइड बॉन्ड' द्वारा जुड़ी अमीनो एसिड शृंखलाओं से बने होते हैं।
      • मुख्य अंतर यह है कि पेप्टाइड्स छोटी शृंखलाएँ होती हैं, जबकि प्रोटीन में आमतौर पर 50 से अधिक अमीनो एसिड होते हैं।
  • स्वास्थ्य लाभ: BAP रक्तचाप, रक्त शर्करा, प्रतिरक्षा, सूजन को नियंत्रित कर सकते हैं, तथा हृदय और चयापचय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
    • हालाँकि बायोपेप्टाइड्स जिस तरह से काम करते हैं वह आनुवंशिक संरचना, आंत माइक्रोबायोटा, आहार और समग्र स्वास्थ्य जैसे कारकों के कारण व्यक्ति दर व्यक्ति अलग-अलग होता है।
      • यह सटीक पोषण के महत्त्व को उजागर करता है, जहाँ आहार और स्वास्थ्य योजनाएँ व्यक्ति की विशिष्ट जीवविज्ञान के अनुरूप बनाई जाती हैं, जो भारत जैसी विविधतापूर्ण जनसंख्या के लिये विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण दृष्टिकोण है।

अमीनो एसिड:

  • अमीनो एसिड कार्बनिक यौगिक होते हैं जो प्रोटीन के निर्माण खंड के रूप में कार्य करते हैं, जो शरीर की वृद्धि, मरम्मत और सामान्य कार्यप्रणाली के लिये आवश्यक हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं:
    • आवश्यक अमीनो एसिड वे होते हैं जिन्हें शरीर स्वयं नहीं बना सकता और जिन्हें भोजन से प्राप्त करना अनिवार्य होता है (जैसे कि हिस्टिडीन, ल्यूसीन और लाइसिन)।
    • गैर-आवश्यक (Nonessential) अमीनो एसिड वे होते हैं जिन्हें शरीर स्वयं ही बना सकता है (जैसे कि ऐलानिन, ग्लूटेमिक एसिड और ग्लाइसिन)।
    • शर्त आवश्यक अमीनो एसिड (Conditionally Essential Amino Acids) सामान्यतः आवश्यक नहीं होते, लेकिन बीमारी या तनाव जैसी विशेष परिस्थितियों में ये शरीर के लिये आवश्यक हो जाते हैं (जैसे: आर्जिनिन, सिस्टीन और ग्लूटामिन)।

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