रबर के पेड़ों पर बीटल-फंगस का खतरा | 02 Aug 2025
स्रोत: TH
केरल के रबर बागान को एम्ब्रोसिया बीटल (यूप्लाटिपस पैरेलेलस) और फंगी फ्यूज़ेरियम एम्ब्रोसिया तथा फ्यूज़ेरियम सोलानी के बीटल-फंगस सहजीवी से बड़े खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
रोगजनन और प्रभाव:
- एम्ब्रोसिया बीटल पेड़ों के जाइलम में फ्यूजेरियम कवक पहुँचाते हैं, जिससे पानी का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है तथा पत्तियाँ गिरने लगती हैं, तना सूख जाता है, लेटेक्स की उपज कम हो जाती है तथा पेड़ नष्ट हो जाते हैं।
- इससे पेड़ों के ऊतकों को क्षति पहुँचती है तथा उनकी मरम्मत धीमी हो जाती है।
पारिस्थितिकी एवं स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ:
- एम्ब्रोसिया बीटल से काजू, सागौन, नारियल और कॉफी जैसी 80 से अधिक चौड़ी पत्ती वाली वृक्ष प्रजातियों को खतरा है।
- फ्यूजेरियम कवक पौधों, जानवरों और मनुष्यों को प्रभावित करता है तथा कमज़ोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के लिये स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करता है।
- यह खतरा और भी गंभीर हो सकता है यदि ये बीटल्स अधिक विषाक्त (virulent) कवक के साथ सह-संबंध स्थापित करते है, जिससे इनका प्रभाव और अधिक विस्तृत हो जाता है।
नियंत्रण चुनौतियाँ एवं शमन:
- संक्रमण का प्रबंधन कठिन होता है, क्योंकि कवक ऊतकों, मिट्टी और भृंगों के माध्यम से फैलता है तथा अन्य सूक्ष्मजीवों को नुकसान पहुँचाता है।
- निवारण उपायों में बीटल ट्रैप्स लगाना, संक्रमित हिस्सों को हटाना, एंटिफंगल दवाओं का प्रयोग तथा जैव नियंत्रण विधियाँ जैसे कि प्रतिद्वंद्वी फफूंद, सूक्ष्मजीव संघ तथा आनुवंशिक रूप से परिवर्तित (GM) रबर पौधों का उपयोग शामिल हैं।
रबड़
- रबर एक लोचदार पदार्थ है जो रबर के पेड़ों (हेविया ब्रासिलिएन्सिस) के लेटेक्स या दूधिया रस से प्राप्त होता है।
- भारत वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक रबर का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक, चौथा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, साथ ही प्राकृतिक + सिंथेटिक रबर का पाँचवाँ सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
- केरल (90%) और उसके बाद त्रिपुरा (लगभग 9%) अग्रणी उत्पादक राज्य हैं।
- रबर 20°-35°C तापमान, 200 सेमी से अधिक वार्षिक वर्षा, दोमट या लैटेराइट मिट्टी तथा ढलान वाले या ऊँचे भू-भाग में सबसे अच्छी तरह उगता है।
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