असम में अनुसूचित जनजातियों का त्रि-स्तरीय वर्गीकरण | 02 Dec 2025

स्रोत: ईटी

चर्चा में क्यों? 

असम में छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिये एक नए त्रि-स्तरीय अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्गीकरण का प्रस्ताव रखे जाने के बाद से अशांति का माहौल है। हालाँकि इस कदम से आवेदक समूह संतुष्ट हैं, लेकिन मौज़ूदा आदिवासियों ने इसका कड़ा विरोध किया है जिसके साथ ही राज्य में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया।

असम के मंत्री समूह ने अनुसूचित जनजाति वर्गीकरण पर क्या सिफारिश की?

  • मंत्री समूह ने तीन स्तरीय ST संरचना का प्रस्ताव रखा:
    • अनुसूचित जनजाति (मैदानी क्षेत्र) : मैदानी क्षेत्रों में विद्यमान जनजातीय समुदायों के लिये जारी है।
    • अनुसूचित जनजाति (पहाड़ी): मौजूदा पहाड़ी जनजातियों के लिये अपरिवर्तित रहेगा।
    • अनुसूचित जनजाति (घाटी): ST का दर्जा मांगने वाले छह समुदायों के लिये नई सुझाई गई श्रेणी: अहोम, चुटिया, मोरन, मटक, कोच-राजबोंगशी और चाय जनजाति/आदिवासी।
    • मंत्री समूह ने कहा कि इस ढाँचे से राज्य को अनुसूचित जनजाति (मैदानी) और अनुसूचित जनजाति (पहाड़ी) के मौजूदा अधिकारों को कम किये बिना आरक्षण को पुनर्गठित करने की सुविधा मिलेगी।
      • राज्य में रोज़गार और शिक्षा के लिये अलग-अलग कोटा लागू होगा, लेकिन केंद्रीय सेवाओं के लिये सभी समूह एक ही अनुसूचित जनजाति सूची साझा करेंगे।
    • ध्यान दें कि त्रिस्तरीय वर्गीकरण के वैधानिक अनुमोदन के लिये संसद को विशेष कानून पारित करना होगा।

भारत में अनुसूचित जनजातियों को कैसे अधिसूचित किया जाता है?

  • अनुच्छेद 366 (25): ‘अनुसूचित जनजाति’ से तात्पर्य उन जनजातियों या जनजातीय समूहों से है जिन्हें अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजातियों के रूप में मान्यता दी गई है।
  • अनुच्छेद 342: अनुच्छेद 342 यह निर्धारित करता है कि राष्ट्रपति, संबंधित राज्यपाल से परामर्श करके यह घोषित करते हैं कि किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में कौन-कौन सी जनजातियाँ ST (अनुसूचित जनजाति) मानी जाऍंगी।
  • एक बार अनुसूचित जनजाति (ST) सूची अधिसूचित हो जाने के बाद, इसमें किसी को शामिल करना या हटाना केवल संसद द्वारा कानून बनाकर ही किया जा सकता है, कार्यकारी अधिसूचना (Executive Notification) के माध्यम से नहीं।
  • अनुसूचित जनजाति वर्गीकरण: संविधान में ‘अनुसूचित जनजाति’ शब्द का उल्लेख है, लेकिन इसमें उनकी पहचान के लिये कोई मानदंड निर्धारित नहीं किया गया है। 
    • सरकार ने वर्ष 1956 में लोकुर समिति का गठन किया, जिसने जनजाति को आदिम लक्षण, विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव, व्यापक समुदाय के साथ सीमित संपर्क तथा सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन जैसे मानदंडों के आधार पर परिभाषित किया।
  • स्वतंत्रता से पहले, वर्ष 1931 की जनगणना में ऐसे समूहों को बहिष्कृत या आंशिक रूप से बहिष्कृत क्षेत्रों में रहने वाली ‘पिछड़ी जनजातियों’ के रूप में वर्णित किया गया था।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह (2024) मामले में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को उप-वर्गीकृत (Sub-Classify) करने की वैधता को बरकरार रखा है।
  • न्यायालय ने राज्यों को यह अनुमति दी है कि वे आरक्षण के लाभों का उचित वितरण सुनिश्चित करने के लिये उप-समूह (Sub-groups) बना सकते हैं।
  • सेवाओं/पदों में आरक्षण:
    • अनुच्छेद 16(4): राज्य सेवाओं में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व वाले पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण की अनुमति प्रदान करता है।
    • अनुच्छेद 46: अनुच्छेद 46 के अनुसार, राज्य (सरकार) का यह कर्त्तव्य है कि वह कमज़ोर वर्गों (विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों) के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा दे।
    • अनुच्छेद 335 के अनुसार, संघ (केंद्र) या राज्य की सेवाओं में नियुक्तियाँ करते समय प्रशासनिक दक्षता (Administrative Efficiency) को बनाए रखते हुए, अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के दावों पर विचार किया जाना चाहिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. संविधान के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों को कौन अधिसूचित करता है?
राष्ट्रपति राज्यपाल से परामर्श के बाद प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के लिये अनुसूचित जनजातियों को अधिसूचित करता है (अनुच्छेद 342), इसमें वृद्धि/हटाना केवल संसद द्वारा कानून के माध्यम से ही किया जा सकता है।

2. क्या संविधान में अनुसूचित जनजातियों की पहचान के लिये मानदंड निर्धारित किये गए हैं?
नहीं - संविधान में अनुसूचित जनजातियों का नाम तो दिया गया है, लेकिन मानदंड परिभाषित नहीं किये गए हैं; लोकुर समिति (1956) ने आदिम लक्षण, विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव और पिछड़ेपन जैसे मानदंडों की सिफारिश की थी।

3. क्या राज्य आरक्षण के लिये अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों को उप-वर्गीकृत कर सकते हैं?
पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह (2024) के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने उप-वर्गीकरण को बरकरार रखा और राज्यों को कानून और संवैधानिक सीमाओं के अधीन, समान लाभ वितरण सुनिश्चित करने के लिये उप-समूह बनाने की अनुमति दी।

सारांश

  • असम के मंत्री समूह ने त्रि-स्तरीय अनुसूचित जनजाति संरचना का प्रस्ताव दिया है - अनुसूचित जनजाति (मैदानी), अनुसूचित जनजाति (पहाड़ी) और एक नई अनुसूचित जनजाति (घाटी) - जिसमें छह अतिरिक्त समुदायों को शामिल किया जाएगा।
    • प्रस्ताव का उद्देश्य मौज़ूदा ST कोटा को बरकरार रखते हुए राज्य स्तरीय आरक्षण को पुनर्गठित करना है।
  • अनुच्छेद 342 और 366(25) में यह बताया गया है कि अनुसूचित जनजातियों को किस प्रकार अधिसूचित किया जाता है: राष्ट्रपति राज्यपाल से परामर्श के बाद उन्हें निर्दिष्ट करते हैं और केवल संसद ही बाद में समूहों को जोड़ या हटा सकती है।
  • अनुच्छेद 15(4), 16(4), 46 और 335 मिलकर प्रशासनिक दक्षता सुनिश्चित करते हुए अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षण, कल्याणकारी उपायों और संरक्षण को सशक्त बनाते हैं।
  • संविधान में अनुसूचित जनजातियों की पहचान के लिये कोई मानदंड निर्धारित नहीं है। लोकुर समिति (1956) ने आदिम लक्षण, विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव, संपर्क में संकोच और पिछड़ापन जैसे मानदंड प्रस्तावित किये थे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न 1. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये:  (2013)

जनजाति

राज्य

1. लिम्बू

सिक्किम

2. कार्बी

हिमाचल प्रदेश

3. डोंगरिया कोंध

ओडिशा

4. बोंडा

तमिलनाडु

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


प्रश्न. भारत में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. PVTG 18 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में निवास करते हैं।  
  2. स्थिर या कम होती जनसंख्या PVTG स्थिति निर्धारण के मानदंडों में से एक है।  
  3. देश में अब तक 95 PVTG आधिकारिक तौर पर अधिसूचित हैं।  
  4. PVTGs की सूची में ईरूलर और कोंडा रेड्डी जनजातियाँ शामिल की गई हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही है?

(a) 1, 2 और 3

(b) 2, 3 और 4

(c) 1, 2 और 4

(d) 1, 3 और 4

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारत के निम्नलिखित संगठनों/निकायों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग 
  2.  राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग 
  3.  राष्ट्रीय विधि आयोग 
  4.  राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग

उपर्युक्त में से कितने सांविधानिक निकाय हैं? 

(a) केवल एक 

(b) केवल दो 

(c) केवल तीन 

(d) सभी चार 

उत्तर: (a)