अर्जुन 2025 PN7: पृथ्वी का नवीनतम अर्द्ध-उपग्रह | 23 Sep 2025

स्रोत: TH

खगोलविदों ने पृथ्वी के एक नए अर्द्ध-उपग्रह अर्जुन 2025 PN7 की खोज की है, जिसे पहली बार हवाई स्थित पैन-स्टार्स 1 दूरबीन द्वारा देखा गया। 

  •  2025 PN7 अर्जुन समूह के क्षुद्रग्रहों में से एक है, जिसका नाम महाभारत के पौराणिक पात्र अर्जुन के नाम पर रखा गया है, जो इसकी तेज, मायावी प्रकृति का प्रतीक है। 
  • अर्द्ध-उपग्रह वर्गीकरण (Quasi-Satellite Classification): 2025 PN7 पृथ्वी का सातवाँ ज्ञात अर्द्ध-उपग्रह है। 
    • इन पिंडों को अर्द्ध-चंद्रमा (quasi-moons) माना जाता है क्योंकि उनका सूर्य के चारों ओर का कक्षीय मार्ग पृथ्वी की कक्षा के समान है, हालाँकि ये ग्रह के गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव से बाहर हैं। 
      • पृथ्वी का अर्द्ध-उपग्रह (quasi-satellite) वह पिंड है जो सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के समान मार्ग में घूर्णन करता है, लेकिन पृथ्वी से गुरुत्वाकर्षण द्वारा बंधा नहीं होता। 
    • मिनी-मून और अर्द्ध-चंद्रमा में अंतर: मिनी-मून अस्थायी रूप से पृथ्वी के चारों ओर घूर्णन करते हैं, जबकि अर्द्ध-चंद्रमा (quasi-moons) सैकड़ों से हज़ारों वर्षों तक पृथ्वी की कक्षा के साथ संतुलन बनाए रखते हैं। 
  • कक्षा (Orbit): 1.003 खगोलीय इकाई (Astronomical Unit – AU) के अर्द्ध-मुख्य अक्ष (semi-major axis) के साथ (जो लगभग पृथ्वी की कक्षा के समान है), 2025 PN7 दीर्घवृत्ताकार (elliptical) कक्षा में सूर्य के चारों ओर घूर्णन करता है। 
    • 2025 PN7 सूर्य के चारों ओर घूर्णन करता है, पृथ्वी के चारों ओर नहीं, लेकिन 1:1 कक्षीय अनुनाद (orbital resonance) के कारण पृथ्वी के पास बना रहता है, जिसका अर्थ है कि यह सूर्य के चारों ओर एक कक्षा पूरी करने में उतना ही समय लेता है जितना पृथ्वी लेती है। 
  • महत्त्व: 2025 PN7 अपने अर्द्ध-उपग्रह स्थिति में 128 वर्षों तक रहेगा, जो वैज्ञानिक अध्ययन के लिये पर्याप्त समय प्रदान करता है।
    • यह कक्षीय अनुनाद, गुरुत्वाकर्षण इंटरैक्शन और पृथ्वी के निकट पिंडों (near-Earth objects) की गतिशीलता का अध्ययन करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है तथा खगोलविदों के लिये एक प्राकृतिक प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता है।
    • इसकी पृथ्वी जैसी कक्षा इसे भविष्य की अंतरिक्ष मिशनों, क्षुद्रग्रह खनन और पुनर्निर्देशन तकनीकों के लिये संभावित लक्ष्य बनाती है, जबकि इसके गति का अध्ययन क्षुद्रग्रह प्रभाव जोखिम का मूल्यांकन करके ग्रह सुरक्षा (planetary defense) में सुधार करने में मदद करता है। 

अर्जुन क्षुद्रग्रह वर्ग (Arjuna Asteroid Class): 

  • अर्जुन क्षुद्रग्रह वर्ग में वह क्षुद्रग्रह शामिल हैं जिनकी कक्षाएँ पृथ्वी जैसी होती हैं, जिन्हें सबसे पहले क्षुद्रग्रह 1991 VG की खोज के साथ पहचाना गया था। 
  • ये क्षुद्रग्रह पृथ्वी के सबसे नजदीकी पिंडों में से हैं और कभी-कभी अस्थायी मिनी-मून बन जाते हैं, जो कुछ समय के लिये पृथ्वी के पास रहते हैं और फिर दूर चले जाते हैं। 
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