अफीम की खेती हेतु वार्षिक लाइसेंसिंग नीति 2025-26 | 16 Sep 2025

स्रोत: पी. आई. बी. 

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में वर्ष 2025-26 के लिये अफीम की खेती हेतु वार्षिक लाइसेंसिंग नीति की घोषणा की है, जिससे पात्र किसानों की संख्या बढ़कर 1.21 लाख हो गई है। 

2025-26 के लिये अफीम की खेती हेतु वार्षिक लाइसेंसिंग नीति 

  • इसे चिकित्सा और उपशामक उपयोग के लिये एल्कलॉइड की निरंतर आपूर्ति बनाए रखने हेतु डिज़ाइन किया गया है, साथ ही सरकारी कारखानों के माध्यम से अफीम और एल्कलॉइड उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जा रहा है। 
  • यह नीति पात्रता नियम निर्धारित करती है, उच्च प्रदर्शन करने वाले किसानों के लिये प्रोत्साहन प्रदान करती है, तथा प्रदर्शन मानकों को पूरा न करने वाले किसानों को विनियमित करती है। 
  • “मेक फॉर वर्ल्ड” विज़न के तहत आधुनिकीकरण और वैश्विक गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करके भारतीय दवा कंपनियों को बढ़ावा देने के प्रयास किये जा रहे हैं। 

अफीम पोस्ता क्या है? 

  • परिचय: अफीम पोस्त (Papaver Somniferum L.) एक वार्षिक औषधीय जड़ी बूटी है, जो पैपावरेसी कुल से संबंधित है। 
    • यह अफीम गोंद का प्राथमिक स्रोत है, जिसमें मॉर्फिन, कोडीन और थेबाइन जैसे एल्कलॉइड होते हैं, जिनका आधुनिक चिकित्सा में दर्द निवारक, खाँसी की दवा और ऐंठन-रोधी के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। 
    • औषधीय उपयोग के अलावा इसे खाद्य बीज और बीज तेल के लिये भी उगाया जाता है। 
  • अनुकूल परिस्थितियाँ: समशीतोष्ण जलवायु में इस फसल की सबसे अच्छी वृद्धि होती है तथा उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में शीत ऋतु में खेती संभव है। 
    • खेती के लिये अच्छी जल निकासी वाली, उपजाऊ हल्की काली या दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है, जिसका pH लगभग 7.0 हो। 
    • पाला, शुष्क परिस्थितियाँ, बादली या वर्षा वाला मौसम अफीम की उत्पादन मात्रा और गुणवत्ता दोनों को कम कर देते हैं। 
  • भारत में अफीम की खेती: भारत एकमात्र ऐसा देश है, जो नारकोटिक ड्रग्स पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) कन्वेंशन (1961) के तहत गोंद अफीम के उत्पादन के लिये अधिकृत है। 11 अन्य देश अफीम पोस्त की खेती करते हैं, लेकिन वे गोंद नहीं निकालते हैं। 
    • भारत में अफीम पोस्त की खेती 10वीं शताब्दी से की जा रही है। 16वीं शताब्दी में मुगल काल के दौरान इस पर संघीय एकाधिकार (फेडरल मोनॉपॉली) बन गई, वर्ष 1773 से यह ब्रिटिश शासन के अधीन आ गई, और वर्तमान में भारतीय सरकार द्वारा नियंत्रित की जाती है। 
  • विनियमन: स्वापक औषधि एवं मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम (NDPS Act), 1985 के तहत, अफीम पोस्त की खेती सख्ती से प्रतिबंधित है, जब तक कि केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (CBN), ग्वालियर (मध्य प्रदेश) द्वारा जारी लाइसेंस प्राप्त न हो। 
    • किसानों को अपना संपूर्ण अफीम उत्पादन CBN को बेचना होता है, जिसका मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है। 
    • वर्तमान में तीन पारंपरिक अफीम उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के चुनिंदा क्षेत्रों में ही वैध खेती की अनुमति प्राप्त है। 
    • नारकोटिक ड्रग्स पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) कन्वेंशन (1961) के हस्ताक्षरकर्त्ता के रूप में भारत को अपने अफीम उत्पादन का प्रबंधन करते समय कन्वेंशन में उल्लिखित प्रावधानों और विनियमों का कड़ाई से पालन करना आवश्यक है।