58वाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार | 19 May 2025

स्रोत: पी.आई.बी 

राष्ट्रपति ने संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध कवि-गीतकार गुलज़ार को वर्ष 2023 के लिये 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया।

  • जगद्गुरु रामभद्राचार्य: वे एक प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वान और हिंदू आध्यात्मिक गुरु हैं, जिन्होंने वर्ष 1982 से जगद्गुरु रामानंदाचार्य की उपाधि धारण की थी। वे चित्रकूट (मध्य प्रदेश) में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख हैं, जो एक प्रमुख धार्मिक और साहित्यिक संस्थान है।
    • 240 से अधिक कृतियों के विपुल लेखक, उन्होंने चार संस्कृत महाकाव्य (भार्गव राघवम, श्री रामायणम, दशावतार तीर्थम और रामानंदाचार्य तीर्थम) लिखे हैं। उन्हें वर्ष 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
  • गुलज़ार: संपूर्ण सिंह कालरा (गुलज़ार) एक प्रसिद्ध उर्दू कवि, गीतकार, लेखक और फिल्म निर्माता हैं।
  • ज्ञानपीठ पुरस्कार: वर्ष 1961 में स्थापित और वर्ष 1965 में पहली बार प्रदान किया जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सबसे पुराना तथा सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है।
    • भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाने वाला यह पुरस्कार अंग्रेज़ी और विभिन्न भारतीय भाषाओं में भारतीय साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये दिया जाता है तथा यह पुरस्कार केवल भारतीय नागरिकों को दिया जाता है, न कि मरणोपरांत।
    • ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्तकर्त्ताओं को 11 लाख रुपए की नकद राशि, वाग्देवी/सरस्वती की एक प्रतिमा और उनकी साहित्यिक उत्कृष्टता के सम्मान में एक प्रशस्ति-पत्र दिया जाता है।

58th_Jnanpith_Award

नोट: विनोद कुमार शुक्ल को 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार (2024) के लिये चुना गया है। वह यह सम्मान पाने वाले छत्तीसगढ़ के पहले लेखक बन गए हैं।

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