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WTO और विवाद निपटान का संकट | 23 Dec 2019 | भारत-विश्व

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान तंत्र और समक्ष स्थित मौजूदा चुनौतियों पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

विश्व व्यापार संगठन (WTO) की अपीलीय प्राधिकरण के तीन में से दो सदस्य इसी माह (दिसंबर) में कार्यमुक्त हो गए हैं, ज्ञात हो कि अब प्राधिकरण में मात्र एक ही सदस्य बचा है। इसके अतिरिक्त WTO के अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष एक अन्य समस्या यह है कि पिछले वर्ष अमेरिका ने इसमें नई नियुक्तियों पर वीटो का प्रयोग करते हुए रोक लगा दी थी, क्योंकि अमेरिका को लगता है कि विश्व व्यापार संगठन पक्षपात की भावना से कार्य करता है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय प्राधिकरण ढहने के कगार पर है और यदि वैश्विक समुदाय द्वारा अतिशीघ्र इसकी स्थिति पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया तो इसकी प्रासंगिकता पर प्रश्नचिह्न लगता दिखाई दे सकता है।

पृष्ठभूमि

WTO का विवाद निपटान तंत्र

क्यों महत्त्वपूर्ण है अपीलीय प्राधिकरण?

प्राधिकरण की निष्क्रियता का प्रभाव

भारत पर प्रभाव

विश्व व्यापार संगठन और उसकी प्रासंगिकता

आगे की राह

प्रश्न: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विवाद के निपटान में WTO के अपीलीय प्राधिकरण की भूमिका की जाँच करते हुए इसके समक्ष स्थित मौजूदा संकट और उसके प्रभावों को स्पष्ट कीजिये।