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न्यूनतम समर्थन मूल्य: समस्याएँ और विस्तार | 15 Dec 2021 | कृषि

यह एडिटोरियल 12/12/2021 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “The Effective Support Price” लेख पर आधारित है। इसमें भारत की MSP व्यवस्था में विद्यमान समस्याओं और MSP को गारंटीकृत किये जाने के वास्तविक आशय के संबंध में चर्चा की गई है।

संदर्भ

तीन कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने के बाद अंततः किसान संगठनों ने एक वर्ष से भी अधिक समय से जारी अपने आंदोलन को वापस लेने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही सरकार ने सभी किसानों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price-MSP) सुनिश्चित करने हेतु एक समिति गठित करने की किसान संगठनों की माँग को भी स्वीकार कर लिया है।

प्रमुख कृषि जिंसों के लिये MSP निर्धारण का प्रश्न सरकार और किसानों के बीच वार्ता में लगातार एक असहमति का बिंदु बना रहा है।

हालाँकि एक कुशल और कार्यात्मक MSP भर ही निम्न निवेश, राज्य के समर्थन के अभाव और अर्थव्यवस्था के अक्षम प्रबंधन से ग्रस्त कृषि क्षेत्र के गहरे संकट के स्थायी समाधान के लिये पर्याप्त नहीं है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)

भारत की MSP व्यवस्था से संबद्ध समस्याएँ

आगे की राह

निष्कर्ष

MSP की गारंटी के लिये न तो धन की कमी है और न ही अवसंरचनात्मक एवं संस्थागत तंत्र की कमी है, बल्कि मूल रूप से कृषि की आवश्यकताओं के संबंध में समझ की कमी है और इससे भी बढ़कर राजनीतिक प्रतिबद्धता की कमी है, जिसके चलते किसानों के लिये लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने हेतु कदम नहीं उठाए जा रहे।

भारत में सर्वाधिक रोज़गार प्रदान करने वाले कृषि क्षेत्र की रक्षा हेतु सरकार द्वारा कम-से-कम यह कदम तो उठाया ही जाना चाहिये।

अभ्यास प्रश्न: न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिये न तो धन की कमी है और न ही अवसंरचनात्मक एवं संस्थागत तंत्र की कमी है, बल्कि यह राजनीतिक प्रतिबद्धता की कमी है जिसके चलते किसानों के लिये लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने हेतु कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। टिप्पणी कीजिये।