बिटकॉइन का संपूर्ण परिचय | 05 Jan 2017

पृष्ठभूमि

कुछ समय पहले चर्चा में आई बिटकॉइन मुद्रा (Bitcoin Currency), वस्तुतः क्रिप्टोग्राफी प्रोग्राम (cryptography program) पर आधारित एक ऑनलाइन मुद्रा है| इस मुद्रा के प्रसार में पिछले चार महीनों में बहुत तेज़ी से उछाल नज़र आया है| वर्तमान में इसकी कीमत (1018.82 डॉलर प्रति यूनिट) पिछले 3 सालों के सबसे उच्च स्तर पर पहुँच गई है| 

भारतीय बिटकॉइन एक्सचेंज (Indian Bitcoin Exchange) में भी इसकी कीमत अब तक के सबसे ऊँचे स्तर 72,000 रुपए प्रति यूनिट पर पहुँच गई है| इसकी प्रीमियम लागत 4-5 प्रतिशत है | ध्यातव्य है कि बिटकॉइन की प्रीमियम लागत का निर्धारण अंतर्राष्ट्रीय बिटकॉइन मूल्य (International bitcoin price) तथा रुपए-डॉलर विनिमय दर (Rupee-Dollar exchange rate) पर निर्भर करता है|

मुद्रा-मूल्य में वृद्धि का कारण

  • स्वर्ण (gold) की भाँति बिटकॉइन को भी डॉलर के जोखिमों (Doller risks) से बचाव के लिये एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया जा रह है|
  • ध्यातव्य है कि पिछले कुछ समय से भारत तथा चीन ने अपनी स्वर्ण की मांग में भारी कमी की है| चीन ने स्वर्ण के आयात एवं व्यापार को सख्त करने के उद्देश्य से अनौपचारिक नियंत्रण (informal control) स्थापित किया है|
  • यदि भारत की बात करें तो यहाँ विमुद्रीकरण की प्रक्रिया ने स्थिति को और भी अधिक निराशाजनक बना दिया है|
  • ध्यातव्य है कि डॉलर की तुलना में चीन की मुद्रा के मूल्य में कमी आने के कारण वहाँ की  सरकार ने सुरक्षित मुद्रा के रूप में स्वर्ण के विकल्प के रूप में बिटकॉइन का चुनाव किया है|
  • वस्तुतः बिटकॉइन है तो एक मुद्रा, परन्तु इसे स्वीकृत ‘उद्यम की वस्तु’ (commodity) के रूप में ही किया जाता है|
  • शुरुआती दौर में बिटकॉइन के विषय में संदेह का माहौल व्याप्त था, परन्तु जैसे-जैसे ई-कॉमर्स के कार्य क्षेत्र में प्रसार होता जा रहा है, बिटकॉइन के प्रसार में भी उछाल आता जा रहा है|

भारत में बिटकॉइन की खरीद की प्रक्रिया

  • वर्तमान में चार बिटकॉइन एक्सचेंज प्रभाव में है- ज़ेबपे (zebpay), यूनोकॉइन (unocoin), BTCX इंडिया तथा कॉइनसिक्योर (coinsecure)| इन चार एक्सचेंजों में ही उद्यम पूंजी (venture capital) तथा निजी शेयर पूंजी (private equity capital) का धन के रूप में निवेश किया जा रहा है|

बिटकॉइन की पूर्ति का स्रोत

  • भारत में अधिकतर बिटकॉइन मुद्रा का प्रसार चीन से होता है, जिसका प्रसार क्षेत्र बहुत बड़ा होने के साथ साथ-प्रभावी भी है|
  • कुछ समय पहले यूनोकॉइन एक्सचेंज ने प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत भेजी जाने वाली धनराशि (remittances) को बिटकॉइन के रूप में भेजने के लिये नई व्यवस्था भी प्रदान की है|

बिटकॉइन का संग्रहण

  • देश के सभी एक्सचेंज बिटकॉइन खरीदारों द्वारा अपनी मुद्रा को संचित करने के लिये बिटकॉइन वॉलेट्स (wallets) की व्यवस्था उपलब्ध कराते हैं|
  • वर्तमान में देश में दो तरह की संग्रहण व्यवस्था कार्यरत है- ऑनलाइन संग्रहण के रूप में एवं वास्तविक संग्रहण के रूप में | ध्यातव्य है कि ये दोनों ही व्यवस्थाएँ निःशुल्क उपलब्ध हैं|

बिटकॉइन मुद्रा के विषय में भारतीय परिदृश्य

  • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी एक बयान में साफ तौर पर कहा गया है कि बिटकॉइन एक करेंसी अथवा मुद्रा नहीं है|
  • हालाँकि, कुछ निजी शेयर कंपनियाँ बिटकॉइन के लेनदेन, व्यापार इत्यादि में निवेश कर रही हैं| 

जोखिम एवं नियम

  • बिटकॉइन के विषय में सबसे बड़ी समस्या इसका ऑनलाइन होना हैं, क्योंकि सम्पूर्ण व्यवस्था ऑनलाइन होने के कारण इसकी सुरक्षा एक बहुत बड़ी समस्या बन जाती है| दरअसल, इसके चलते इसके हैक होने का खतरा बना रहता है|
  • दूसरी सबसे बड़ी समस्या इसके नियंत्रण एवं प्रबन्धन की है| भारत जैसे कई देशों ने अभी तक इसे मुद्रा के रूप में स्वीकृति प्रदान नहीं की हैं, ऐसे में इसका प्रबन्धन एक बड़ी समस्या है|
  • विशेषज्ञों के अनुसार, इंटरनेट के अविष्कार के बाद तकनीकी रूप से यह 21वीं सदी की दूसरी सबसे बड़ी क्रांतिकारी खोज है| 
  • हालाँकि, बहुत से आर्थिक विशेषज्ञों ने इससे दूरी बनाए रखने यानी बिटकॉइन के अंतर्गत निवेश न करने की सलाह भी दी है|

कर प्रबन्धन

  • ज़ेबपे (zebpay) द्वारा दिये गए सुझावों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति निरंतर रूप से बिटकॉइन को खरीदता एवं बेचता है, तो इस प्रक्रिया से प्राप्त होने वाले मुनाफे तथा हानि को उसके व्यापारिक मुनाफे एवं हानि के रूप में ही देखा जाना चाहिये|
  • जबकि, यदि कोई व्यक्ति यदा-कदा ही बिटकॉइन की खरीद-फरोख्त करता है तो इसे निवेश की खरीद-फरोख्त के रूप में देखा जाना चाहिये| अतः इस प्रक्रिया से प्राप्त होने वाले मुनाफे तथा हानि को उसके पूंजी लाभ तथा पूंजी हानि के रूप में देखा जाना चाहिये|
  • इसीलिये कम समय के लिये किये जाने वाले निवेश से प्राप्त लाभ को आयकर का हिस्सा मानकर उस पर 30 प्रतिशत का तथा अधिक समय के लिये निवेश से प्राप्त लाभ पर 20 प्रतिशत का आयकर अधिरोपित किया जाना चाहिये|

प्रबन्धन की आवश्यकता

  • स्पष्ट है कि यदि लम्बे समय के लिये बिटकॉइन को प्रबन्धन के दायरे से बाहर रखा जाता है तो आपराधिक तत्त्वों के साथ-साथ आतंकी गुटों द्वारा भी इसका गलत इस्तेमाल किये जाने का खतरा बना रहेगा| 
  • वस्तुतः बिटकॉइन का प्रबन्धन ठीक उसी रूप में किया जाना चाहिये जिस रूप में सेबी पूंजी बाज़ार में मौजूद पी-नोट्स (P-notes) का प्रबन्धन एवं नियमन करता है|