डेली अपडेट्स

पूर्वोत्तर और नागरिकता संशोधन अधिनियम | 16 Dec 2019 | शासन व्यवस्था

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों खासकर असम में हो रहे विरोध प्रदर्शन के कारणों पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद अधिनियम बन चुके विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों ने देश भर के तमाम हिस्सों खासकर पूर्वोत्तर के राज्यों में हिंसक रूप धारण कर लिया है। अधिनियम को लेकर हो रहे विरोध के चलते न केवल पूर्वोत्तर के कई क्षेत्रों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है बल्कि इनकी चपेट में आने से कुछ प्रदर्शनकारियों की मौत भी हुई है। उल्लेखनीय है कि देश भर के अन्य हिस्सों में हो रहे विरोध प्रदर्शन पूर्वोत्तर के विरोध प्रदर्शनों से कई मायनों में अलग हैं। दरअसल पूर्वोत्तर के राज्य खासकर असम के मूल निवासी इस अधिनियम के कारण अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं भाषायी पहचान को लेकर चिंतित हैं। ऐसे में यह प्रश्न अनिवार्य हो जाता है कि क्या देश के एक हिस्से में लगी आग को नज़रअंदाज कर हम देश की सामाजिक और आर्थिक प्रगति पर विचार कर सकते हैं।

पूर्वोत्तर की स्थिति

नागरिकता संशोधन अधिनियम- एक नज़र

देश के अन्य हिस्सों से अलग है पूर्वोत्तर का प्रदर्शन

असम- प्रदर्शन का केंद्र

अन्य क्षेत्रों में विवाद

संस्कृति और भाषा की विलुप्ति का खतरा

ILP की मांग

निष्कर्ष

भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और लोकतंत्र में देश के प्रत्येक नागरिक को असहमति दर्ज कराने का पूरा अधिकार होता है। आवश्यक है विभिन्न मुद्दों को लेकर विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की बात धैर्य पूर्वक सुनी जाए और सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए एक वैकल्पिक मार्ग की खोज की जाए, ताकि क्षेत्र विशेष की सांस्कृतिक पहचान भी बरकरार रहे और अन्य देशों के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को एक नया जीवन प्रारंभ करने का अवसर मिल सके। साथ ही यह भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों का धार्मिक आधार पर विभाजन किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं ठहराया जा सकता।

प्रश्न: नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों की चिंताओं का संक्षिप्त वर्णन करते हुए मूल्यांकन कीजिये कि वे कहाँ तक उचित हैं।