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आधार और अन्य कानून (संशोधन) विधेयक, 2019 | 09 Aug 2019 | भारतीय राजनीति

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण शामिल है। इस आलेख में आधार और अन्य कानून विधेयक, 2019 की चर्चा की गई है, साथ ही आधार से संबंधित कुछ आशंकाओं को भी व्यक्त किया गया है। आवश्यकतानुसार यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

आधार और अन्य कानून (संशोधन) विधेयक, 2019 को संसद द्वारा पारित कर दिया गया है। इस विधेयक में आधार अधिनियम, 2016 के कई प्रावधानों में परिवर्तन किया गया है। इसके साथ ही इस अधिनियम की विवादित धारा 57 को भी इस विधेयक में समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है। पिछले वर्ष आधार पर उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गए निर्णय तथा डेटा संरक्षण पर गठित न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्णा समिति की सिफारिशों के आधार पर इस विधेयक को लाया गया है। यह विधेयक पारित होने के पश्चात् आधार और अन्य कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2019 को प्रतिस्थापित करेगा। इस विधेयक में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण प्रावधान किये गए हैं।

कौन से संशोधन किये गए हैं?

प्रभाव

आशंकाएँ

निष्कर्ष

भारत में आधार (Adhaar) को लॉन्च हुए एक दशक से भी अधिक समय हो चुका है। आधार ने भारत में सरकार एवं लोगों के बीच विभिन्न सेवाओं के अंतरण जैसी उपयोगी भूमिका निभाई है। इससे सरकारी बजट में कुशलता आई है, साथ ही लक्षित व्यक्ति तक सेवाओं की पहुँच को सुनिश्चित किया जा सका है। ध्यातव्य है कि आधार में किसी व्यक्ति विशेष से संबंधित अति निजी एवं गोपनीय सूचनाएँ होती हैं यदि इनका प्रकटीकरण किया जाता है अथवा दुरुपयोग किया जाता है तो इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उपर्युक्त विचार के संदर्भ में भारत में आधार को लेकर वाद-विवाद होता रहा है तथा आधार को अधिक सुरक्षित बनाने के लिये भी समय-समय पर प्रयास किये जाते रहे हैं। सरकार ने वर्ष 2016 में आधार अधिनियम को क़ानूनी रूप दिया किंतु इससे जुड़े विवाद समाप्त नहीं हो सके। इस परिप्रेक्ष्य में वर्ष 2018 में उच्चतम न्यायालय ने इसकी संवैधानिक वैद्यता को सही ठहराया, किंतु कुछ बदलाव के लिये सरकार को निर्देश भी दिये। ऐसे ही निर्देशों, निजता के अधिकार एवं राष्ट्र हित के लिये आवश्यक प्रावधानों के साथ आधार एवं अन्य कानून (संशोधन) विधेयक, 2019 को पारित किया गया है। इसमें विभिन्न ज़रूरी प्रावधानों को शामिल किया गया है लेकिन अभी भी कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनको संबोधित करने की आवश्यकता है। ये मुद्दे प्रमुख रूप से साइबर सुरक्षा एवं निजता के अधिकार से संबंधित हैं। जिन्हें बुनियादी ढाँचे के विकास के द्वारा सुलझाया जा सकता है, इसके साथ ही तेज़ी से बदलती तकनीकी ने भी चुनौती उत्पन्न की है जिसका समाधान समय-समय पर विभिन्न बदलावों के द्वारा ही संभव है।

प्रश्न: हाल ही में पारित आधार विधेयक के महत्त्वपूर्ण प्रावधान कौन से हैं? मौजूदा समय में आधार से जुड़ी वे कौन सी समस्याएँ हैं जिन्हें दूर किया जाना अभी शेष है?