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रूस-यूक्रेन संघर्ष | 28 Feb 2022 | अंतर्राष्ट्रीय संबंध

यह एडिटोरियल 26/02/2022 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित ‘Stay the Course’ लेख पर आधारित है। इसमें रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

यूक्रेन संकट सीमा से बाहर हो गया है, रूस यूक्रेन के कथित ‘विसैन्यीकरण’ और नाज़ी प्रभाव मुक्ति’ (Demilitarise’ and ‘Denazify’) के लिये आक्रमण करके पूर्वी यूक्रेन (डोनबास क्षेत्र) के डोनेट्स्क (Donetsk) और लुहान्स्क (Luhansk) विद्रोही क्षेत्रों को मान्यता प्रदान कर रहा है। मॉस्को का यह निर्णय यूरोप में राष्ट्रीय सीमाओं का उल्लंघन नहीं करने पर वर्ष 1975 के हेलसिंकी समझौते में व्यक्त सहमति को अस्वीकार करता है जो वैश्विक व्यवस्था के लिये एक बड़ी चुनौती है। भारत के लिये एक ओर जहाँ रूस उसके सैन्य उपकरणों का सबसे बड़ा एवं समय मानकों पर खरा उतरा आपूर्तिकर्त्ता बना रहा है, वहीं अमेरिका, यूरोपीय संघ एवं यू.के. भारत के महत्त्वपूर्ण भागीदार हैं जिन्हें नाराज़ करने का खतरा नहीं उठाया जा सकता। भारत के रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए भारत ने अब तक जिस संतुलित दृष्टिकोण का पालन किया है, वही उपयुक्त व्यावहारिक तरीका हो सकता है।

संघर्ष का कारण 

वर्तमान परिदृश्य 

रूस का पक्ष और दृष्टिकोण

भारत पर इस संघर्ष के प्रभाव 

आगे की राह 

भारत-विशिष्ट आगे की राह 

अभ्यास प्रश्न: रूस-यूक्रेन संघर्ष के भारत पर पड़ने वाले प्रभावों और इस संबंध में भारत द्वारा अपनाए जा सकने वाले उपयुक्त दृष्टिकोण के संबंध में चर्चा कीजिये।