भारत में एग्री-टेक का उदय | 21 Feb 2023

यह एडिटोरियल 17/02/2023 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Can drones replace tractors someday?” लेख पर आधारित है। इसमें यह कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उदय और संबंधित चुनौतियों पर चर्चा करता है।

संदर्भ

कृषि क्षेत्र में रूपांतरणकारी प्रौद्योगिकी समाधान (Transformative technological solutions) बढ़ रहे हैं, जिसने कृषि-प्रौद्योगिकी (agri-tech) क्षेत्र की अप्रयुक्त क्षमता को संबोधित करने के उद्देश्य से 1,300 से अधिक स्टार्ट-अप के उदय का मार्ग प्रशस्त किया है। वर्ष 2021 तक भारत ने कृषि-प्रौद्योगिकी में 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश प्राप्त किया था, जो वैश्विक स्तर स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा निवेश था।

  • कृषि-प्रौद्योगिकी उद्योग भारत में और वैश्विक बाज़ार में अपनी उच्च मांग के कारण एक सतत् भविष्य के निर्माण हेतु सबसे महत्त्वपूर्ण स्तंभों में से एक है। भारत के आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पिछले छह वर्षों में भारत का कृषि क्षेत्र 4.6% बढ़ा है और इस क्षेत्र में 1000 से अधिक कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप का उभार हुआ है। एक सुदृढ़ कृषि-प्रौद्योगिकी क्षेत्र के निर्माण में अवसंरचनात्मक विकास एक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है।
  • प्रौद्योगिकी के आधुनिक युग में कृषि क्षेत्र में तकनीक की उपेक्षा करना विवेकपूर्ण नहीं होगा। इसलिये, समय की मांग है कि भारत में कृषि-प्रौद्योगिकी के महत्त्व और चुनौतियों का पुनर्मूल्यांकन किया जाए।

कृषि रूपांतरण में प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?

  • ड्रोन की भूमिका:
    • ड्रोन (Drones)—जिसे मानवरहित हवाई वाहन (Unmanned Aerial Vehicles- UAVs) के रूप में भी जाना जाता है, में कृषि को उल्लेखनीय रूप से रूपांतरित करने और विभिन्न परिवर्तन लाने की क्षमता है।
    • हवाई बीज छिड़काव/एरियल सीडिंग, कीटनाशक छिड़काव और अनुसंधान हेतु दूरस्थ डेटा संग्रह में ड्रोन के कई अनुप्रयोग हैं।
  • एग्री-टेक स्टार्ट-अप की भूमिका:
    • कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप (Agri tech start-ups) कृषि क्षेत्र में नवोन्मेषी प्रौद्योगिकी और आधुनिक अभ्यासों का प्रवेश सुनिश्चित कर कृषि रूपांतरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
    • कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप कृषि तकनीकों में सुधार, दक्षता में वृद्धि, वित्त तक पहुँच आदि द्वारा कृषि रूपांतरण में योगदान कर सकते हैं।
  • परिशुद्ध कृषि (Precision Agriculture):
    • जीपीएस, ड्रोन और सेंसर जैसी प्रौद्योगिकी का उपयोग फसलों, मृदा और मौसम की दशाओं की निगरानी के लिये किया जा रहा है।
    • यह किसानों को डेटा-संचालित निर्णय ले सकने और जल एवं उर्वरक उपयोग जैसे संसाधन प्रबंधन को इष्टतम करने में सक्षम बनाता है।
  • कृषि मशीनरी:
    • कृषि क्षेत्र की उत्पादकता में सुधार लाने में मशीनीकरण (Mechanization) एक महत्त्वपूर्ण कारक रहा है।
    • ट्रैक्टर, हार्वेस्टर एवं सीड ड्रिल जैसी आधुनिक कृषि मशीनरी ने किसानों को अपनी दक्षता बढ़ाने और श्रम लागत को कम करने में सक्षम बनाया है।
  • जैव प्रौद्योगिकी:
    • जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology) का उपयोग उन फसलों को विकसित करने के लिये किया गया है जो कीटों एवं रोगों के लिये प्रतिरोधी हैं, सूखा प्रतिरोधी हैं और अधिक उपज देते हैं।
    • इसके परिणामस्वरूप उत्पादकता में वृद्धि हुई है, फसल हानि में कमी आई है और बेहतर गुणवत्ता की फसलें प्राप्त हुई हैं।
  • खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण:
    • प्रौद्योगिकी ने खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण तकनीकों के विकास को सक्षम किया है जो सुनिश्चित करता है कि खाद्य सुरक्षित है तथा इनका जीवनकाल सुदीर्घ हुआ है।
    • इसने खाद्य की बर्बादी को कम किया है और यह सुनिश्चित किया है कि फसलों का अधिक कुशलता से संग्रहण एवं परिवहन किया जा सके।
  • बाज़ार पहुँच:
    • प्रौद्योगिकी ने किसानों को स्थानीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर बाज़ारों तक बेहतर पहुँच बना सकने में सक्षम बनाया है।
    • इंटरनेट एवं ई-कॉमर्स ने बिचौलियों को दरकिनार करते हुए और मुनाफा बढ़ाते हुए किसानों के लिये खरीदारों से जुड़ना तथा अपने उत्पादों की प्रत्यक्ष बिक्री करना संभव बना दिया है।

कौन-से संबंधित कदम उठाये गए हैं?

  • डिजिटल कृषि मिशन (DAM) पहल:
    • इसे सितंबर 2021 में क्लाउड कंप्यूटिंग, पृथ्वी अवलोकन, रिमोट सेंसिंग, डेटा और AI/ML मॉडल में प्रगति का लाभ उठाकर एग्री-टेक स्टार्ट-अप की मदद करने के लिये लॉन्च किया गया था।
  • एग्रीस्टैक (AgriStack):
    • कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने ‘एग्रीस्टैक’—कृषि में प्रौद्योगिकी आधारित हस्तक्षेपों का एक समूह—के निर्माण योजना तैयार की है।
  • एकीकृत किसान सेवा मंच (Unified Farmer Service Platform- UFSP):
    • UFSP कोर इंफ्रास्ट्रक्चर, डेटा, ऐप्लीकेशन और टूल का एक संयोजन है जो देश भर में कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न सार्वजनिक एवं निजी आईटी प्रणालियों की बाधारहित अंतरसंक्रियता (interoperability) को सक्षम बनाता है।
  • कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) योजना:
    • SMAM योजना वर्ष 2014-15 में लघु एवं सीमांत किसानों तक और उन क्षेत्रों एवं दुर्गम हिस्सों में कृषि मशीनीकरण की पहुँच बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी जहाँ फ़ार्म पावर (यानी खेतों में मशीनरी का उपयोग) की उपलब्धता कम है।

कृषि-प्रौद्योगिकी से संबद्ध प्रमुख मुद्दे

  • सीमित डिजिटल साक्षरता:
    • डिजिटलीकरण की ओर भारत की प्रगति के बावजूद किसानों की एक बड़ी संख्या डिजिटल साक्षरता और प्रौद्योगिकी तक पहुँच का अभाव रखती है, जिससे कृषि-प्रौद्योगिकी समाधानों को अपनाना चुनौतीपूर्ण है।
  • उच्च अग्रिम लागत:
    • कई कृषि-प्रौद्योगिकी समाधानों के लिये उल्लेखनीय अग्रिम निवेश की आवश्यकता होती है, जो छोटे किसानों के लिये एक प्रमुख बाधा सिद्ध हो सकती है जिनके पास निवेश करने के लिये पर्याप्त संसाधन नहीं होते हैं।
  • खंडित भूमि जोत:
    • भारत में अधिकांश किसान छोटे और खंडित जोत रखते हैं, जिससे अधिक लागत-प्रभावी वृहत-स्तरीय मशीनीकरण समाधानों को अपनाना कठिन हो जाता है।
  • सीमित अवसंरचना:
    • बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी अवसंरचना की सीमित उपलब्धता कृषि-प्रौद्योगिकी समाधानों के अंगीकरण तथा प्रभावशीलता को बाधित कर सकती है।
  • अपर्याप्त सरकारी नीतियाँ:
    • कृषि-प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दे सकने के लिये सरकार की नीतियाँ और कार्यक्रम प्रायः अपर्याप्त, असंगत या अक्षमता से कार्यान्वित किये गए हैं, जो उनकी प्रभावशीलता को कम करते हैं।
  • सहयोग का अभाव:
    • किसानों, निजी क्षेत्र के अभिकर्ताओं और सरकार जैसे विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग का अभाव कृषि-तकनीकी समाधानों के विकास एवं अंगीकरण को सीमित कर सकता है।
  • सीमित बाज़ार पहुँच:
    • किसानों द्वारा कृषि-प्रौद्योगिकी समाधानों को अपनाये जाने के बाद भी बाज़ार से जुड़ाव की कमी और बाज़ार की सीमित जानकारी के कारण उन्हें अपनी उपज बेचने के लिये बाज़ारों तक पहुँच बनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • ड्रोन के विनियमन से संबद्ध मुद्दे:
    • इस क्षेत्र के विकास में गोपनीयता (privacy) भी एक प्रमुख चिंता है क्योंकि हवाई वाहन परिष्कृत सेंसर और कैमरों से सुसज्जित हैं।

आगे की राह

  • आधुनिक प्रौद्योगिकी के अंगीकरण को प्रोत्साहित करना:
    • सरकार को किसानों को खेती में आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये। आधुनिक उपकरणों और तकनीकों की खरीद एवं उपयोग के लिये सब्सिडी तथा वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान कर ऐसा किया जा सकता है।
  • किसान-केंद्रित अनुसंधान को बढ़ावा देना:
    • कृषि अनुसंधान को किसानों की आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
    • वैज्ञानिकों को स्थानीय परिस्थितियों के लिये उपयुक्त प्रौद्योगिकी और पद्धतियों को विकसित करने के लिये किसानों के साथ मिलकर कार्य करना चाहिये।
  • प्रौद्योगिकी तक पहुँच में सुधार लाना:
    • भारत में छोटे किसान प्रायः सिंचाई, मशीनीकरण और फसल प्रबंधन उपकरणों सहित आधुनिक प्रौद्योगिकी तक पहुँच की कमी रखते हैं।
    • अनुसंधान संस्थानों को वहनीय और सुलभ प्रौद्योगिकियों के विकास पर ध्यान देना चाहिये जो कृषि उत्पादकता में सुधार ला सकें।
  • शिक्षा एवं प्रशिक्षण को बढ़ावा देना:
    • किसानों, शोधकर्ताओं और अन्य हितधारकों को कृषि संबंधी शिक्षा एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाना चाहिये।
    • यह नई प्रौद्योगिकियों एवं अभ्यासों के अंगीकरण को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है, साथ ही ज्ञान हस्तांतरण (knowledge transfer) की सुविधा प्रदान कर सकता है।
  • ड्रोन विनियमन में सुधार लाना:
    • ड्रोन विनियमन एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है जिस पर व्यक्तियों एवं समुदायों की सुरक्षा एवं गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिये सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।
    • विनियमों का एक स्पष्ट और सुसंगत समूह विकसित करना, गोपनीयता कानूनों को लागू करना आदि विनिमयन में सुधार के कुछ तरीके हो सकते हैं।

अभ्यास प्रश्न: भारत में कृषि-प्रौद्योगिकी के उदय को प्रेरित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? इस क्षेत्र द्वारा अपनी पूरी क्षमता को साकार कर सकने के मार्ग की प्रमुख चुनौतियों की भी चर्चा करें।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (पीवाईक्यू)  

प्रारंभिक परीक्षा

प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2017)

राष्ट्रव्यापी 'मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना' का उद्देश्य है:

  1. सिंचाई के तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार करना।
  2. मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर किसानों को दिये जाने वाले ऋण की मात्रा का आकलन करने में बैंकों को सक्षम बनाना।
  3. खेतों में उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग की जाँच करना।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

 (A) केवल 1 और 2
 (B) केवल 3
 (C) केवल 2 और 3
 (D) 1, 2 और 3

उत्तर: (B)

व्याख्या:

  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कृषि और सहकारिता विभाग द्वारा प्रवर्तित भारत सरकार की एक योजना है। यह सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के कृषि विभाग के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • एक SHC प्रत्येक किसान को, जोत की मिट्टी के पोषक तत्त्व की स्थिति और उर्वरकों के उपयोग एवं मिट्टी से जुड़े आवश्यक संशोधनों पर सलाह देने के लिये है, जिसे लंबे समय तक मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिये लागू किया जाना चाहिये।
  • इस योजना के पीछे मुख्य उद्देश्य एक विशेष मिट्टी के प्रकार का पता लगाना है और फिर ऐसे तरीके प्रदान करना है जिससे किसान इसमें सुधार कर सकें।