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इंटरनेट तक पहुँच का अधिकार और डिजिटल साक्षरता | 03 Oct 2019 | शासन व्यवस्था

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में ‘इंटरनेट तक पहुँच के अधिकार’ पर चर्चा की गई है। साथ ही इसमें इंटरनेट के महत्त्व और डिजिटल साक्षरता का भी उल्लेख किया गया है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

डिजिटलीकरण के दौर में इंटरनेट संचार और सूचना प्राप्ति का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण ज़रिया बन गया है। दशकों पूर्व इंटरनेट तक पहुँच को विलासिता (Luxury) का सूचक माना जाता था, परंतु वर्तमान में इंटरनेट सभी की ज़रूरत बन गया है। इंटरनेट की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए हाल ही में केरल उच्च न्यायालय ने फहीमा शिरिन बनाम केरल राज्य के मामले में संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आने वाले निजता के अधिकार और शिक्षा के अधिकार का एक हिस्सा बनाते हुए इंटरनेट तक पहुँच के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया है।

क्या है मामला?

इंटरनेट का महत्त्व

शिक्षा में इंटरनेट की भूमिका

भारत में इंटरनेट की उपलब्धता के समक्ष चुनौतियाँ

डिजिटल साक्षरता का अर्थ

डिजिटल साक्षरता का आशय उन तमाम तरह के कौशलों के एक समूह से है, जो इंटरनेट का प्रयोग करने और डिजिटल दुनिया के अनुकूल बनने के लिये आवश्यक हैं। चूँकि प्रिंट माध्यम का दायरा धीरे-धीरे सिकुड़ता जा रहा है और ऑनलाइन उपलब्ध जानकारियों का दायरा व्यापक होता जा रहा है, इसलिये ऑनलाइन उपलब्ध जानकारी को समझने के लिये डिजिटल साक्षरता आवश्यक है।

डिजिटल साक्षरता और भारत

डिजिटल साक्षरता हेतु भारत के प्रयास

भारतनेट कार्यक्रम

राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन

कितना प्रासंगिक है इंटरनेट तक पहुँच का मौलिक अधिकार?

इंटरनेट तक पहुँच का मौलिक अधिकार और संयुक्त राष्ट्र

उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2016 में इंटरनेट तक पहुँच के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने की घोषणा की थी और साथ ही कहा था कि इंटरनेट से लोगों को पृथक करना मानवाधिकारों का उल्लंघन और अंतर्राष्ट्रीय कानून के खिलाफ है।

आगे की राह

निष्कर्ष

इंटरनेट तक पहुँच के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देना केरल उच्च न्यायालय द्वारा उठाया गया एक सराहनीय कदम है। ज़ाहिर है कि यह कदम न केवल अन्य मौलिक अधिकारों को सहारा देगा बल्कि यह देश में डिजिटल असमानता को कम करने में भी मदद करेगा। परंतु इसका पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिये यह आवश्यक है कि इसके समक्ष खड़ी बाधाओं जैसे- डिजिटल साक्षरता और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी आदि को समय रहते दूर किया जाए।

प्रश्न: इंटरनेट तक पहुँच के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दिये जाने की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए इसके प्रभावों को बताएँ।