नया शहरी एजेंडा और भारत | 28 Jun 2017

सन्दर्भ
हाल ही में यूएन-हैबिटेट गवर्निंग काउंसिल की 26वीं बैठक संपन्न हुई है। इस बैठक में नया शहरी एजेंडा विषय (New Urban Agenda-NUA) पर प्रमुखता से बात हुई और इसके साथ ही एनयूए एक बार फिर से चर्चा में है।इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे श्री वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत का स्मार्ट सिटी मिशन (Smart City Mission-SCM) और यूएन-हैबिटेट के लक्ष्य एक जैसे हैं और भारत इन लक्ष्यों को लिये करने के प्रति प्रतिबद्ध है।

क्या है नया शहरी एजेंडा?

  • विदित हो कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2016 में इक्वाडोर की राजधानी क्यूटो में तृतीय हैबिटेट सम्मेलन (Habitat-3 Conference) का आयोजन किया गया था, जिसका उद्देश्य कस्बों, शहरों और अन्य मानव बस्तियों (ग्रामीण और शहरी दोनों के लिये) के सतत विकास के लिये वैश्विक राजनीतिक प्रतिबद्धता को पुनर्जीवित करना था।इस सम्मेलन का आधार नया शहरी एजेंडा था, जिसके अंतर्गत शहरों को और बेहतर बनाने की बात की गई थी।
  • नया शहरी एजेंडा’, शहरीकरण की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिये एक 175 प्रतिबद्धताओं का सेट है, जो 20 वर्षों के संधारणीय शहरीकरण के लिये वैश्विक दृष्टिकोण निर्धारित करता है। उल्लेखनीय है कि इसकी शर्तें भागीदार देशों के लिये बाध्यकारी नहीं हैं। इसके प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं-

• आधारभूत सेवाएँ: सभी नागरिकों के लिये आधारभूत सेवाएँ प्रदान करना जैसे-आवास, सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता, पौष्टिक भोजन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा।
• समान अवसरः नया शहरी विकास एजेंडा सभी नागरिकों को बिना भेदभाव के समान अवसर की प्राप्ति सुनिश्चित करता है। यह महिलाओं, बच्चों, वृद्धों, विकलांगों, वंचितों, नृजातीय वर्गों आदि सभी की आवश्यकताओं पर ध्यान देने का निर्देश देता है।
• जलवायु परिवर्तनः यह एजेंडा ग्रीन-हाउस गैस उत्सर्जन कम कर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये कार्रवाई करता है। इस संबंध में यह स्थानीय सरकारों और समाज को पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं का अनुसरण करने का निर्देश देता है।
• स्वच्छताः यह एजेंडा स्वच्छ ऊर्जा का प्रयोग बढ़ाने, बेहतर और अधिक हरित परिवहन व्यवस्था के विकास, संसाधनों के संधारणीय उपयोग को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्धता ज़ाहिर करता है। जोखिम और आपदाओं का प्रभाव कम करने के लिये बेहतर शहरी नियोजन एवं गुणवत्तापूर्ण आधारभूत ढाँचा विकास को प्रोत्साहित करता है।

नया शहरी एजेंडा’ की भारत के लिये प्रासंगिकता

  • विदित हो कि भारत भी यू.एन हैबिटेट का हस्ताक्षरकर्त्ता देश है। भारत के लिये यह एजेंडा शहरीकरण की वर्तमान प्रवृत्ति और भविष्य में शहरी आबादी में तीव्र वृद्धि की संभावना देखते हुए अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण है।
  • इससे भारतीय शहरों को भीड़-भाड़ और प्रदूषण में वृद्धि तथा आधारभूत ढाँचा पर अधिक दबाव की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • कड़वा सच यह भी है कि भारत के अधिकांश शहर अनियोजित अथवा अर्द्धनियोजित हैं, जिससे उपर्युक्त समस्याओं के बढ़ने की संभावना और अधिक रहती है।
  • इस एजेंडा के दृष्टिकोण के माध्यम से भारत के स्मार्ट सिटी, अमृत (AMRUT), ‘सबको आवास योजना’ जैसी सरकारी पहलों को एकीकृत किया जा सकता है।

स्मार्ट सिटी और नया शहरी एजेंडा

  • 'स्मार्ट सिटी' की संकल्पना, शहर-दर-शहर और देश-दर-देश भिन्‍न होती है, जो विकास के स्तर, परिवर्तन और सुधार की इच्छा, शहर के निवासियों के संसाधनों और उनकी आकांक्षाओं पर निर्भर करती है। ऐसे में, स्मार्ट सिटी का भारत में अलग अर्थ होगा, जैसे कि यूरोप में इसके अलग आयाम हो सकते हैं।
  • इस मिशन में शहरों के मार्गदर्शन करने के लिये कुछ पारिभाषिक सीमाएँ अपेक्षित हैं। भारत में किसी भी शहर निवासी की कल्पना में, स्मार्ट शहर तस्वीर में ऐसी अवसंरचना एवं सेवाओं की अभीष्‍ट सूची होती है, जो उसकी आकांक्षा के स्तर को वर्णित करती है।
  • स्मार्ट सिटी अवधारणा, जहाँ नागरिकों की आकांक्षाओं और ज़रूरतों को पूरा करने के लिये, शहरी योजनाकार को आदर्श तौर पर पूरे शहरी पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना होता है, वहीं नया शहरी एजेंडा जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के लक्ष्यों को समाहित किये हुए है।
  • अतः यदि स्मार्ट सिटी मिशन, नवीन शहरी एजेंडा का ब्लूप्रिंट बन जाए तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिये। 

निष्कर्ष

  • बेशक स्मार्ट सिटी का विचार ई-गवर्नेंस की अवधारणा को एक नए स्तर पर ले जाने का प्रयास है। पूर्णत: स्मार्ट सिटी हो जाने पर स्मार्ट सिटी के निवासियों की अधिकांश समस्याएँ स्वत: ही हल हो जाएंगी। स्मार्ट सिटी बनने की आवश्यक शर्तों में ई-गवर्नेंस तो है ही, लेकिन यह एक धुरी मात्र है, जिस पर शेष सेवाएँ आधारित हैं।
  • दरअसल, पश्चिमी देशों में हाई-स्पीड इंटरनेट ब्रॉडबैंड सुविधा के कारण स्मार्ट सिटी के बारे में यह धारणा बनने लगी है कि जहाँ सारी सरकारी सेवाएँ इंटरनेट आधारित हैं, वह एक स्मार्ट सिटी है, परन्तु एक स्मार्ट सिटी बनने से पहले किसी भी शहर में बहुत से अन्य आवश्यक तत्त्वों का होना ज़रूरी है।
  • स्मार्ट सिटी के महाअभियान में जनसाधारण को शामिल किये बिना स्मार्ट सिटी का सपना पूरा नहीं हो सकता। स्मार्ट सिटी वस्तुत: एक ऐसा शहर होता है, जो सतत आर्थिक विकास व उच्च जीवन स्तर सुनिश्चित करता है तथा अर्थव्यवस्था, परिवहन, पर्यावरण, जीवन स्तर और सरकारी सेवाओं की सर्वोच्च श्रेष्ठता पर फोकस करता है। अतः स्मार्ट सिटी मिशन और नए शहरी एजेंडे का मिलन भारत में शहरीकरण से उत्पन्न समस्याओं का समाधान बन सकता है।