कोयला खनन का विनियमन | 13 Jan 2020

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में हालिया खनिज कानून (संशोधन) अध्यादेश 2020 और उसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खान और खनिज (विकास एवं विनियम) अधिनियम 1957 तथा कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 में संशोधन करने हेतु खनिज कानून (संशोधन) अध्यादेश 2020 को मंज़ूरी दे दी है। सरकार के इस कदम से न केवल देश में व्यापार सुगमता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि विकास के नए रास्ते भी खुलेंगे। हालाँकि कई विश्लेषकों ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) में कार्यरत लाखों कर्मचारियों पर प्रभाव पड़ेगा और उसकी स्थिति भी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) जैसी हो जाएगी।

अध्यादेश के प्रावधान

  • इस अध्यादेश के माध्यम से खान और खनिज (विकास एवं विनियम) अधिनियम 1957 तथा कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 में संशोधन किया जाएगा।
    • खान और खनिज (विकास एवं विनियम) अधिनियम 1957 भारत में खनन क्षेत्र को नियंत्रित करता है और खनन कार्यों के लिये खनन लीज़ को प्राप्त करने और जारी करने संबंधी नियमों का निर्धारण करता है।
    • कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 का उद्देश्य कोयला खनन कार्यों में निरंतरता सुनिश्चित करने और कोयला संसाधनों के इष्टतम उपयोग को बढ़ावा देने के लिये प्रतिस्पर्द्धी बोली (Bidding) के आधार पर कोयला खानों का आवंटित करने के लिये सरकार को सशक्त बनाना है।
  • अध्यादेश में उल्लेखित संशोधन के अनुसार, खनन क्षेत्र को भारत में पंजीकृत सभी कंपनियों के लिये खोल दिया गया है। इससे पूर्व सरकार केवल आयरन और स्टील तथा पावर कोल वॉशिंग सेक्टर में लगी कंपनियों को ही कोयला एवं लिग्नाइट खनन लाइसेंस की नीलामी करती थी। ध्यातव्य है कि कोयला खनन क्षेत्र को सभी कंपनियों के लिये खोलकर सरकार इस क्षेत्र का लोकतांत्रिकरण करना चाहती है।
    • संशोधन अध्यादेश के माध्यम से इस शर्त को भी समाप्त कर दिया गया है कि बोली लगाने वाली कंपनी को भारत में खनन क्षेत्र का अनुभव होना चाहिये। सरकार के इस कदम से स्पष्ट है कि अब कोयला खनन के लिये बोली लगाने वालों का दायरा काफी व्यापक होगा।
  • साथ ही अध्यादेश में कोयला और लिग्नाइट ब्लॉक्स के लिये पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन लीज़ (Prospecting Licence-cum-Mining Lease-PL-cum-ML) प्रदान करने संबंधी प्रावधान भी किये गए हैं। इससे पूर्व कोयला या लिग्नाइट के संबंध में पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन लीज़ (PL-cum-ML) जारी करने संबंधी कोई प्रावधान नहीं था।
  • विदित हो कि वर्ष 2018 में सरकार ने निजी संस्थाओं को वाणिज्यिक खनन की अनुमति दी थी, किंतु गैर-कोयला कंपनियाँ नीलामी में भाग नहीं ले सकती थीं।
  • बीते वर्ष अगस्त माह में सरकार ने कोयला खनन में स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की घोषणा भी की थी।

क्यों आवश्यक है यह कदम?

  • आँकड़ों के अनुसार, भारत ने बीते वर्ष कोयले के आयात पर लगभग 1,71,000 करोड़ रुपए खर्च किये थे, जिससे 235 मिलियन टन कोयले का आयात किया गया था।
    • विश्लेषकों के अनुसार, वर्ष 2019 में आयातित कुछ कोयले में से लगभग 100 मिलियन टन कोयले को भारत में मौजूद कोयले से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता था , जबकि 135 मिलियन टन कोयले की आपूर्ति भारत के ही घरेलू उत्पादन से की जा सकती थी, परंतु ऐसा नहीं हो सका और इसके कारण सरकार को राजकोषीय स्तर पर नुकसान का सामना करना पड़ा।
  • मौजूदा नियमों के अनुसार कोयला खनन में कंपनियों का प्रवेश काफी सीमित है, जिसके कारण खनन क्षेत्र में एकाधिकार की स्थित बन रही है और बिडिंग (Bidding) से सरकार को जो राशि प्राप्त हो सकती है वह भी काफी सीमित हो गई है।
  • यदि हमें अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना है तो सभी क्षेत्रों का विकास होना आवश्यक है, जिसमें कोयला खनन क्षेत्र भी शामिल है।

इस कदम के लाभ

  • कोयला मंत्रालय के अनुसार, सरकार के इस ‘ऐतिहासिक’ कदम से एक ऊर्जा दक्ष बाज़ार बनाने में सहायता मिलेगी और व्यापार सुगमता में भी बढ़ोतरी होगी।
  • सरकार का यह कदम कोयला खनन क्षेत्र को पूरी तरह से खोल देगा और किसी को भी वित्त और विशेषज्ञता के साथ कोयला खदानों के लिये बोली लगाने एवं अपनी पसंद के किसी भी खरीदार को स्वतंत्र रूप से कोयला बेचने के लिये सक्षम बनाएगा।
  • इससे कोयला बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि होगी और कोयले का आयात घटाने में सहायता मिलेगी। साथ ही यह अध्यादेश 31 मार्च, 2020 को समाप्त होने जा रही खनन लीज़ की नीलामी प्रक्रिया को मज़बूती प्रदान करेगा।
  • कोयला खनन के क्षेत्र में इस कदम से भारत को अपने खनिज भंडार का न केवल दोहन करने में सहायता मिलेगी बल्कि बहुत सी वैश्विक कंपनियाँ अपनी नई प्रौद्योगिकी के साथ भारत में अपना कारोबार स्थापित कर सकेंगी।
  • साथ ही इस अध्यादेश से वाणिज्यिक प्रयोग हेतु कोयला खानों की नीलामी के नियम आसान करने में सहायता मिलेगी।
  • इससे भारत को वैश्विक खननकर्त्ताओं द्वारा उपयोग किये जाने वाले उन्नत उपकरणों/तकनीक तक पहुँच प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
  • इस कदम के साथ ही सरकार कोयले के वाणिज्यिक खनन में अधिक भागीदारी का लक्ष्य भी निर्धारित कर सकती है। विदित हो कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिये 1000 मिलियन टन (MT) कोयला उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • विश्व के चौथे सबसे बड़े कोयला भंडार के बावजूद भारत ने वर्ष 2019 में 235 मिलियन टन (MT) कोयले का आयात किया था। यह स्पष्ट करता है कि भारत में संसाधन होने के बावजूद भी उसका यथासंभव दोहन नहीं हो पाया है।
  • सरकार के इस कदम से कोयला बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी और एक प्रतिस्पर्द्धी बाज़ार सदैव ग्राहक अनुकूल होता है।

कोल इंडिया लिमिटेड पर प्रभाव

  • कोयला खनन क्षेत्र को सभी प्रकार की कंपनियों के लिये खोलने से इस क्षेत्र में कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा।
  • हालाँकि कोयला मंत्रालय का कहना है कि CIL के हितों का ध्यान रहा जाएगा और उसे पर्याप्त मात्रा में ब्लॉक आवंटित किये जाएंगे।
  • ज्ञात हो कि CIL एक महारत्न PSU है और इसमें बीते कुछ वर्षों में काफी अधिक सार्वजनिक संसाधनों का निवेश किया गया है।
    • कोयला क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण के कुछ समय बाद ही 1975 में कोल इंडिया लिमिटेड की स्थापना एक होल्डिंग कंपनी के रूप में हुई थी।
  • यह सुनिश्चित करना सरकार की ज़िम्मेदारी है कि इस कदम से BSNL की तरह CIL के अस्तित्व पर भी खतरा न पैदा हो जाए।
    • मौजूदा समय में CIL में लगभग 3 लाख कर्मचारी कार्य कर रहे हैं और यह एक सूचीबद्ध कंपनी है।

निष्कर्ष

कोयला खनन क्षेत्र को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंज़ूर किये गए हालिया संशोधन भले भी इस क्षेत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देंगे, किंतु कोल इंडिया लिमिटेड जैसे बड़े महारत्न से संबंधी चिंताओं को दरकिनार नहीं किया जा सकता। आवश्यक है कि सरकार इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों को विश्वास दिलाए की इस कदम से उनके भविष्य पर कोई खतरा नहीं होगा। साथ ही उक्त कदमों के अलावा भी क्षेत्र के विकास के लिये खनन लीज़ की मंज़ूरी के लिये लगने वाले समय को कम करने और मंज़ूरी की प्रक्रिया को आसान बनाने जैसे कदम भी लिये जाने चाहिये।

प्रश्न: भारत में पंजीकृत सभी कंपनियों के लिये कोयला खनन क्षेत्र को खोलना किस प्रकार इस क्षेत्र के विकास में योगदान करेगा? चर्चा कीजिये।