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भूजल को 'दृश्यमान' बनाना | 23 Mar 2022 | शासन व्यवस्था

यह एडिटोरियल 22/03/2022 को हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित “Groundwater: A Valuable ‘invisible’ Resource” लेख पर आधारित है। इसमें चर्चा की गई है कि किस प्रकार अदृश्य संसाधन भूजल को भूजल प्रबंधन रणनीतियों द्वारा दृश्यमान बनाया जा सकता है।

संदर्भ

भारत में विश्व की 16% आबादी विद्यमान है लेकिन वैश्विक ताज़े जल संसाधन का केवल 4% ही मौजूद है। बड़े पैमाने पर भूजल निष्कर्षण सहित मौजूदा खपत पैटर्न को देखते हुए अनुमान लगाया जाता है कि वर्ष 2030 तक भारत के पास अपनी आवश्यकताओं के अनुसार आधा जल ही उपलब्ध होगा। जैसे-जैसे जलवायु संकटबढ़ रहा है इसके प्रभाव नदियों के प्रवाह में उल्लेखनीय परिवर्तन ला रहे हैं, जबकि कुछ मामलों में नदियों के मार्गों में भी परिवर्तन देखने हो मिल रहे हैं। इस प्रकार, भविष्य में शहरों की जल की मांग और पूर्ति हेतु जल की उपलब्धताऔर उस तक पहुँच वास्तविक चिंता का विषय है। खनिज या तेल जैसे प्राकृतिक संसाधनों के विपरीत भूजल एक नवीकरणीय संसाधन है। यदि इसे संवहनीय रूप से प्रबंधित किया जाता है तो यह भविष्य में हमारे शहरों के लिये जल आपूर्ति के एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में उपलब्ध होगा।

भारत का भूजल उपभोग परिदृश्य 

भूजल एक 'अदृश्य' संसाधन के रूप में:

भूजल प्रबंधन हेतु सरकार की पहलें

भूजल संसाधनों के प्रबंधन हेतु किये जाने वाले प्रयास 

भूजल को 'दृश्यमान' बनाने हेतु प्रयास 

निष्कर्ष

भारत के जल भविष्य को सुरक्षित करने की भावना को एक आंदोलन के रूप में विकसित होने की ज़रूरत है जिसमें सभी शामिल हों। हमें केवल ‘जल के उपयोगकर्त्ता’ होने से आगे बढ़ते हुए इसका सक्रिय प्रबंधक बनने की आवश्यकता है और हमें सुनिश्चित करना होगा कि जल का उपभोग न केवल पर्यावरणीय रूप से संवहनीय या आर्थिक रूप से लाभप्रद हो बल्कि सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से भी उचित भी हो।

अभ्यास प्रश्न: चर्चा कीजिये कि भूजल हमारे लिये उपलब्ध एक अदृश्य संसाधन क्यों है और भूजल में कमी की समस्याओं को संबोधित करने हेतु इसके संरक्षण हेतु उपायों पर चर्चा कीजिये।