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भारत में LGBTQIA+ अधिकार एवं स्वीकृति | 17 Jan 2023 | सामाजिक न्याय

यह एडिटोरियल 13/01/2023 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित “Sangh’s views on LGBTQ+ rights signal a shifting tide” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में LGBTQIA+ समुदाय, उनकी समस्याओं और उनके सशक्तीकरण की आवश्यकताओं के संबंध में चर्चा की गई है।

संदर्भ

हाल के वर्षों तक भारत में समलैंगिक संबंधों (Same-sex Relationships) को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत एक आपराधिक कृत्य माना जाता था, जहाँ ‘प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध दैहिक संभोग’ को अपराध घोषित किया गया था।

भारत में LGBTQIA+ की मान्यता संबंधी पृष्ठभूमि

भारत में LGBTQIA+ समुदाय के समक्ष विद्यमान प्रमुख चुनौतियाँ

आगे की राह

अभ्यास प्रश्न: LGBTQIA+ व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा में भारतीय कानूनी प्रणाली की प्रगति और अब भी विद्यमान कमियों की विवेचना कीजिये। भारतीय समाज में इस समुदाय द्वारा सामना किये जाने वाले भेदभाव एवं वंचना को संबोधित कर सकने के उपायों के सुझाव भी दीजिये।