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वामपंथी अतिवाद | 09 Apr 2021 | आंतरिक सुरक्षा

यह एडिटोरियल 08/04/2021 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित लेख  “Lessons from Tekulguda” पर आधारित है। इसमें वामपंथी उग्रवाद (LWE) द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बारे में  चर्चा की गई है।

हाल ही में छत्तीसगढ़ के बस्तर के टेकुलगुडा क्षेत्र में स्थानीय और केंद्रीय पुलिस बलों द्वारा संचालित तलाशी अभियान विफल हो गया जिसमें 22 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। 

यह दुखद घटना कई स्तरों पर भारत की आंतरिक सुरक्षा (IS) क्षमता के लिये एक बड़ा झटका है इस चुनौती को उजागर करती है कि  वामपंथी उग्रवाद (LWE) जारी है।

भारत दशकों से तीन प्रकार की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों का सामना कर रहा है, जैसे:- कश्मीर में एक छद्म युद्ध और आतंकवाद, पूर्वोत्तर में उप-राष्ट्रीय अलगाववादी आंदोलनों और रेड कॉरिडोर में नक्सल-माओवादी विद्रोह (LWE)।

सरकार ने पहली दो चुनौतियों (कश्मीर में छद्म युद्ध और आतंकवाद और पूर्वोत्तर में उप-राष्ट्रीय अलगाववादी आंदोलन) को समाहित किया है, लेकिन टेकुलगुडा की घटनाएँ दर्शाती हैं कि अब LWE को खत्म करने के लिये  ठोस कदम उठाने चाहिये।

कॉम्बिंग ऑपरेशन या तलाशी अभियान 

पृष्ठभूमि:

अत्यधिक गंभीर खतरा: नवंबर 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने LWE चुनौती को भारत के लिये सबसे गंभीर सुरक्षा खतरा बताया और इसके समाधान के लिये पेशेवरों को उचित प्रतिक्रियाएँ विकसित करने के लिये प्रेरित किया।

LWE के समाधान संबंधित मुद्दे

आगे की राह

समाधान (SAMADHAN) नीति

वर्ष 2017 में भारत सरकार ने एक नए सिद्धांत की घोषणा की। इस सिद्धांत की घोषणा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों की समीक्षा बैठक के दौरान की गई थी। SAMADHAN का पूर्ण रूप निम्न प्रकार से है:

निष्कर्ष : सरकार ने LWE से निपटने के लिये SAMADHAN नीति की परिकल्पना की है। यह नीति वामपंथी उग्रवाद की समस्या के लिये वन-स्टॉप समाधान है। इसके अंतर्गत LWE से निपटने हेतु सरकार द्वारा विभिन्न स्तरों पर तैयार की गई सभी अल्पकालिक व दीर्घकालिक रणनीतियाँ शामिल हैं।

प्रश्न: विद्रोही गतिविधियों से सुरक्षाकर्मियों की लगातार मृत्यु भारत की आंतरिक सुरक्षा (IS) क्षमता के लिये एक बड़ा झटका है तथा इस चुनौती को उजागर करती है कि  वामपंथी उग्रवाद (LWE) जारी है। चर्चा कीजिये।