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तापमान एक अदृश्य जलवायु जोखिम (invisible climate risk) | 22 Nov 2018 | भूगोल

संदर्भ

जब हम जलवायु परिवर्तन की बात करते हैं, तो अक्सर इसमें पिघलने वाली बर्फ की चादरों और अत्यधिक सूखे की अवधियों को ही शामिल करते हैं। हालाँकि, इसका एक और पक्ष बढ़ता तापमान भी है। यह एक अदृश्य जलवायु जोखिम है जिससे विभिन्न समुदाय अभी तक अनजान हैं। दरअसल, बढ़ते तापमान की धीमी और क्रमिक प्रवृत्ति लोगों के जीवन, आजीविका और उत्पादकता को सीधे प्रभावित करती है। उल्लेखनीय है कि ज्यादातर संवेदशील लोग खुद को गर्मी से कैसे बचा सकते हैं, इसके बारे में उन्हें या तो सीमित जानकारी है या कोई जानकारी नहीं है। यहाँ तक कि राष्ट्रीय स्तर पर भारत कूलिंग एक्शन प्लान के माध्यम से राष्ट्रीय शीतलन रणनीति को लागू करने के सरकार के प्रयास को भी अपर्याप्त माना जा रहा है।

बढ़ते तापमान से संबंधित तथ्य

इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) क्या है?

प्रमुख लक्ष्य

इस कार्ययोजना के प्रमुख लक्ष्य इस प्रकार हैं:

परिवर्तनशील जलवायु हेतु महत्त्वपूर्ण उपाय

निष्कर्ष :

ICAP शहरों के गरीब समुदायों के लिये मौजूदा अनुकूलन क्षमता का लाभ उठाने का अवसर है। हालाँकि, दीर्घकालिक शीतलन कार्रवाई के लिये अपने आस-पास और पेड़ लगाकर, ‘शीतलन आश्रय' के रूप में डिज़ाइन किये जाने वाले सामान्य संस्थानों की पहचान करना तथा श्रमिक संघों, कंपनियों के माध्यम से बेहतर श्रम और आवास की स्थिति को अनिवार्य बनाना होगा।

सभी के लिये सतत और दीर्घकालिक शीतलन की व्यवस्था हेतु दीर्घकालिक तापमान अनुकूल एवं लचीली रणनीतियों को प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है।

स्रोत : लाइव मिंट