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आधार अधिनियम का धन विधेयक के तौर पर पेश किया जाना कितना तर्कसंगत? | 27 Feb 2017 | अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

विदित हो कि आधार एक्ट को पिछले साल मनी बिल के तौर पर पेश किया गया था। आधार एक्ट को मनी बिल के तौर पर पेश किये जाने को मनी बिल से संबंधित प्रावधानों का उल्लंघन मानते हुए इसके खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी। गौरतलब है कि अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दायर किये गए रिट याचिका के संबध में याचिकाकर्ता को अपना पक्ष रखने का अंतिम अवसर देने वाला है। अतः यह उपयुक्त समय है यह देखने का कि क्या सच में आधार एक्ट को मनी बिल के तौर पर पेश किया जाना उचित नहीं है? और इस बारे मे कानूनी प्रावधान क्या कहते हैं? उपयुक्त अवसर तो यह भी देखने का है कि ‘आधार’ जिसे सरकार नए भारत का आधार बता रही है दरअसल वह निजता के अधिकार की कीमत चुकाकर लाया गया है, लेकिन पहले बात करते हैं आधार को मनी बिल के तौर पर पेश किये जाने के संबंध में।

कब और कैसे बदल गया आधार का स्वरूप

क्या है मनी बिल?

क्या कहते हैं संबंधित प्रावधान 

क्यों आधार पर चर्चा ज़रूरी है?

निष्कर्ष