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भारत - नेपाल संबंध – आगे कैसे बढ़े? | 21 Jun 2017 | अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ 

विश्लेषण

भारत का दृष्टिकोण

सावधानी

प्रथम- ऐसा करते समय अन्य कोई हानि कम-से-कम हो।
दूसरा- इसके प्रभावी उपयोग के लिये भारत को उस देश के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की जटिलता को समझना चाहिये। जैसे नेपाल पर प्रतिबंध लगाने से वह चीन की ओर झुक सकता है।
तीसरा- इस कार्य की लागत पर विचार कर लेना चाहिये, क्योंकि प्रतिबंध  लगाने वाला राज्य उस देश में मौद्रिक लागत के साथ-साथ अपनी प्रतिष्ठा भी खो सकता है, जैसा कि भारत और नेपाल के मामले में देखा गया है। इस तरह से प्रतिष्ठा की हानि को कूटनीतिक उपाय से जल्दी भरा नहीं जा सकता है।

निष्कर्ष
यद्दपि नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का पिछला कार्यकाल दोनों देशों के संबंधों के लिये उत्पादक रहा, फिर भी भारत को नेपाल के प्रति अपनी नीति दूरदर्शी बनानी होगी। जिस तरह से इस क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है, उससे भारत को  अपने पड़ोस में आर्थिक शक्ति के प्रदर्शन से पहले रणनीतिक लाभ–हानि पर विचार अवश्य कर लेना चाहिये।