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भारत के विदेश संबंधों को मिला और विस्तार | 07 Feb 2019 | अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

भारत की विदेश नीति ऐसी है जिसमें वैश्विक संतुलन कायम रखते हुए सभी देशों से बेहतर संबंध बनाने पर ज़ोर दिया जाता है। भारत ने अपनी डाइनैमिक विदेश नीति के तहत हाल ही में विश्व के कई देशों के साथ समझौतों और सहमति-पत्रों को मंज़ूरी दी है। ये समझौते वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को और विस्तार देने का काम करेंगे।

1. भारत-नॉर्वे महासागर वार्ता समझौता

2. भारत-फिनलैंड जैव प्रौद्योगिकी समझौता

आपसी हितों के आधार पर निम्नलिखित अनुसंधान क्षेत्रों की पहचान की गई है:

इस समझौते में आपसी हितों के आधार पर फिनलैंड और भारतीय संगठनों के बीच दीर्घकालीन अनुसंधान और विकास तथा नवाचार सहयोग को बढ़ावा देने पर सहमति दी गई है।

3. भारत-इंडोनेशिया बाह्य अंतरिक्ष अन्वेषण और उपयोग समझौता

गौरतलब है कि भारत और इंडोनेशिया पिछले दो दशकों से भी अधिक समय से अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं। इसरो ने अपने प्रक्षेपण यान और उपग्रह मिशन के लिये टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड (TTC) को समर्थन देने के लिये इंडोनेशिया के बियाक में ग्राउंड स्टेशन की स्थापना की है। वर्तमान में यह सहयोग 1997 एवं 2002 में हस्ताक्षरित एजेंसी स्तर (इसरो-इंडोनेशियन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस-LAPAN) के समझौतों के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है। 
1997 के समझौता ज्ञापन के अनुसार, परिचालन, रखरखाव एवं उपयोग के अधिकार को बरकरार रखते हुए उपकरण के टाइटल को 5 वर्षों के बाद LAPAN को सुपुर्द किया जाना था। इसके मद्देनज़र सरकार के स्तर पर सहयोग को बढ़ाते हुए इसरो एवं LAPAN ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये बाह्य अंतरिक्ष के अन्वेषण और उपयोग में सहयोग हेतु यह समझौता किया।

4. अफ्रीका में विकास संबंधी भारत-UAE सहयोग समझौता

5. भारत-मालदीव कृषिगत व्‍यवसाय सुधार समझौता

6. भारत-ब्राज़ील पारंपरिक चिकित्‍सा प्रणालियाँ और होम्‍योपैथी सहयोग समझौता

भारत और ब्राज़ील के बीच अत्‍यंत घनिष्‍ठ एवं बहुआयामी संबंध द्विपक्षीय स्‍तर के साथ-साथ ब्रिक्‍स, बेसिक, जी-20,  जी-4 एवं बीएसए जैसे बहुपक्षीय स्‍तर और इसके अलावा बहुपक्षीय संगठनों जैसे कि संयुक्‍त राष्‍ट्र, विश्‍व व्‍यापार संगठन, यूनेस्‍को और विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन में भी परिलक्षित होते हैं। यही नहीं, ब्राज़ील समूचे लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्र में भारत के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व्‍यापार साझेदारों में से एक है।

7. भारत-मलेशिया कंपनी सचिव सहयोग समझौता

ICSI संसद द्वारा पारित कंपनी सचिव अधिनियम, 1980 के अंतर्गत गठित एक वैधानिक निकाय है। इसका उद्देश्‍य भारत में कंपनी सचिव के पेशे को विकसित करना और इसका नियमन करना है। दूसरी तरफ MACS कंपनी सचिवों का एक निकाय है, जिसका उद्देश्‍य मलेशिया में कंपनी सचिवों की प्रतिष्‍ठा और कार्य कुशलता को बेहतर बनाना है।

8. भारत का नामीबिया और पनामा के साथ चुनाव प्रबंधन निकाय समझौता

भारत का निर्वाचन आयोग कुछ देशों और एजेंसियों के साथ समझौतों के माध्यम से दुनियाभर में चुनाव से संबंधित मामलों और निर्वाचन प्रक्रियाओं में सहयोग को बढ़ावा देता है। भारत में निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो दुनिया में सबसे बड़े चुनावों का आयोजन करता है। निर्वाचन आयोग का यह उत्तरदायित्व है कि वह विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक पृष्ठभूमि वाले लगभग 85 करोड़ मतदाताओं वाले देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का आयोजन करे। भारत में लोकतंत्र की सफलता ने दुनिया भर की लगभग हर राजनीतिक व्यवस्था का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

9. भारत-उज्‍बेकिस्‍तान ई-प्रशासन द्विपक्षीय सहयोग समझौता

भारत के इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का एक प्रमुख कार्य द्विपक्षीय तथा क्षेत्रीय नेटवर्क के तहत सूचना संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के उभरते क्षेत्रों में अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग को प्रोत्‍साहन प्रदान करना है। मंत्रालय ने चिन्हित क्षेत्रों में सूचना के आदान-प्रदान को प्रोत्‍साहित करने के लिये विभिन्‍न देशों की एजेंसियों के साथ समझौते किये हैं।

10. भारत-यूक्रेन कृषि एवं खाद्य उद्योग सहयोग समझौता

विभिन्न देशों की विदेश नीतियों के रणनीतिक उद्देश्य तथा भौगोलिक निर्देश अंतर्राष्ट्रीय संवाद की रूपरेखा को मोटे तौर पर परिभाषित करते हैं। फिर भी सभी देशों की विदेश नीति में समयानुसार बदलाव होते रहते हैं। इसके अलावा विदेश नीति को घरेलू बाध्यताओं तथा वैश्विक संपर्क की संभावनाओं एवं क्षमताओं के अनुसार भी ठीक-ठाक किया जाता है। विगत पाँच वर्षों में भारत की विदेश नीति में भी कई बड़े-छोटे बदलाव हुए ताकि राष्ट्रीय हितों को तत्कालीन सरकार की धारणा के अनुसार सर्वश्रेष्ठ तरीके से साधा जा सके।

स्रोत: PIB