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भारत-बांग्लादेश संबंध | 10 Oct 2019 | अंतर्राष्ट्रीय संबंध

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में भारत और बांग्लादेश के संबंधों और हालिया द्विपक्षीय वार्ता पर भी चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

हाल ही में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत की अपनी चार दिवसीय (3-6 अक्तूबर, 2019) आधिकारिक यात्रा संपन्न की है। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने विश्व आर्थिक मंच के भारत आर्थिक शिखर सम्मेलन में बांग्लादेश का प्रतिनिधित्व किया और साथ ही सम्मेलन को भी संबोधित किया। सम्मेलन के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत और बांग्लादेश के मध्य गहन द्विपक्षीय संबंधों और बढ़ती परस्पर निर्भरता को दर्शाती है।

राष्ट्र प्रमुखों की बैठक और उसके मुख्य बिंदु:

बैठक के दौरान दोनों देशों के प्रमुखों ने संबंधों को मज़बूती प्रदान करने के लिये कुल 7 समझौतों पर हस्ताक्षर किये और 3 परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया।

बांग्लादेश का उद्भव

भारत-बांग्लादेश संबंध

भारत और बांग्लादेश के मध्य द्विपक्षीय सहयोग की शुरुआत वर्ष 1971 में हो गई थी, जब भारत ने बांग्लादेश राष्ट्र का समर्थन करते हुए अपनी शांति सेना भेजी थी। इसी कारण दोनों के मध्य एक भावनात्मक संबंध भी बना हुआ है। किसी भी देश के लिये यह आवश्यक होता है कि उसके पड़ोसी देशों के साथ उसके रिश्ते अच्छे और मज़बूत रहें, खासकर एशियाई क्षेत्र में जहाँ आतंकवाद के बड़ा खतरा है। बीते वर्ष 2017 की बैठक में भारत और बांग्लादेश के संबंधों को एक नया आयाम दिया गया और कुल 11 समझौतों तथा 24 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गए थे।

भारत और बांग्लादेश की सीमा लगभग 4096.7 किमी. लंबी है। उल्लेखनीय है बांग्लादेश के साथ भारत की सीमा उसके किसी भी अन्य पड़ोसी देश से सबसे अधिक है। भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौता (India-Bangladesh Land Boundary Agreement-LBA) वर्ष 2015 में लागू हुआ था और 31 जुलाई, 2015 को भूभागीय मानचित्र पर हस्ताक्षर किये गए थे। विदित है कि दोनों देशों के मध्य अब तक सुरक्षा सहयोग से संबंधित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इन्ही में से एक है समन्वित सीमा प्रबंधन योजना, जिस पर वर्ष 2011 में हस्ताक्षर किये गए थे एवं इसके तहत सीमा पार अवैध गतिविधियों और अपराधों की जाँच करने तथा भारत-बांग्लादेश सीमा पर शांति बनाए रखने हेतु दोनों सीमा सुरक्षा बलों द्वारा समन्वित प्रयास किये गए।

भारत और बांग्लादेश आपस में 54 नदियाँ साझा करते हैं। ध्यातव्य है कि इस विषय पर एक द्विपक्षीय संयुक्त नदी आयोग (JRC) भी है जो आम नदी प्रणालियों से लाभ को अधिकतम करने के लिये दोनों देशों के बीच संपर्क बनाए रखने हेतु जून 1972 से काम कर रहा है और यह JRC समय-समय पर नदी संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिये बैठकें भी करता है।

ज्ञातव्य है कि भारत और बांग्लादेश के बीच 1972 में पहला व्यापार समझौता हुआ था। भारत-बांग्लादेश व्यापार समझौते को अंतिम बार जून 2015 में स्वतः नवीनीकरण के प्रावधान के साथ 5 वर्षों की अवधि के लिये नवीनीकृत किया गया था। भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले एक दशक में लगातार बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत और बांग्लादेश के मध्य 9.5 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। साथ ही भारत ने वर्ष 2011 से दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) के तहत तंबाकू और शराब को छोड़कर सभी टैरिफ लाइनों पर बांग्लादेश को शुल्क मुक्त कोटा प्रदान किया हुआ है। सीमावर्ती समुदायों के लाभ के लिये त्रिपुरा और मेघालय में दो-दो बॉर्डर हाट (Border Haats) की भी स्थापना की गई है।

भारत मे बांग्लादेश को वर्ष 2010 से अब तक 8 बिलियन डॉलर की 3 लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) दी हैं। जनवरी 2010 में भारत ने सार्वजनिक परिवहन, सड़कों, रेलवे, पुलों और अंतर्देशीय जलमार्ग संबंधी परियोजनाओं हेतु लगभग 1 बिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि इनमें से अधिकांश परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं और शेष पूरी होने की कगार पर हैं। इसके अलावा लगभग 2 बिलियन डॉलर की दूसरी LOC वर्ष 2015 में और लगभग 4.5 मिलियन डॉलर की वर्ष 2017 में भी दी गई थी।

वर्ष 2017 में बांग्लादेश भारत से लगभग 660 मेगावाट बिजली का आयात कर रहा था। अप्रैल 2017 में भारतीय सार्वजनिक/निजी कंपनियों और बांग्लादेश के बीच 3600 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन/आपूर्ति/वित्तपोषण के समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए थे। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन जैसे कई भारतीय सार्वजानिक क्षेत्र की इकाइयाँ बांग्लादेश के तेल और गैस क्षेत्र में अपने बांग्लादेशी समकक्षों के साथ काम कर रही हैं।

भारत-बांग्लादेश परिवहन के सभी साधनों के माध्यम से कनेक्टिविटी का एक अच्छा उदाहरण है। वर्तमान समय में दोनों देशों के मध्य व्यापार और आवागमन हेतु लगभग सभी साधनों जैसे- पानी के जहाज़, रेल, बस और हवाई जहाज़ आदि का प्रयोग किया जा रहा है।

इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र (IGCC), बांग्लादेश में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र है। IGCC का उद्घाटन वर्ष 2010 में किया गया था और यह नियमित रूप से बांग्लादेश में सांस्कृतिक गतिविधियों वाले कार्यक्रमों का आयोजन करता है। इसी के साथ IGCC योग, हिंदी, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, मणिपुरी नृत्य, कथक और चित्रकारी में नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है, विदित है कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बांग्लादेशी विद्यार्थियों के मध्य काफी प्रचलित है।

कई क्षेत्रों में चिंताएँ बरकरार

NRC पर भी है चिंता

दोनों देशों के प्रतिनिधियों की बैठक के दौरान NRC भी चर्चा का एक महत्त्वपूर्ण विषय रहा और बांग्लादेशी पक्ष ने NRC के संबंध में अपनी चिंताएँ भी ज़ाहिर कीं। इस विषय पर भारतीय प्रधानमंत्री ने यह भरोसा दिया था कि बांग्लादेश पर NRC का प्रभाव नहीं पड़ेगा और यह भारत का आंतरिक विषय है। उल्लेखनीय है कि जब अगस्त में असम में NRC के अंतिम संस्करण से लगभग 19 लाख लोगों को अलग किया है, तब से भारत की ओर से आने वाले बयानों के कारण बांग्लादेश चिंतित है कि इन लोगों को निर्वासित कर दिया जाएगा।

आगे की राह

निष्कर्ष

भारत और बांग्लादेश के मध्य संबंध काफी अच्छे हैं। भारतीय राष्ट्रपति के अनुसार, भारत और बांग्लादेश के संबंध अपने स्वर्णिम युग में हैं, परंतु फिर भी कुछ चिंताएँ बनी हुई हैं जिन्हें जल्द-से-जल्द समग्र रूप से संबोधित किया जाना आवश्यक है ताकि दोनों पड़ोसियों के बीच अच्छे संबंधों को हमेशा के लिये कायम रखा जा सके और एक-दूसरे के सहयोग से विकास के नए लक्ष्य प्राप्त किये जा सकें।

प्रश्न: “भारत और बांग्लादेश के संबंध अपने स्वर्णिम युग में हैं।” कथन को स्पष्ट करते हुए दोनों देशों के मध्य चिंता के विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा कीजिये।