स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत: राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के रैंकों पर रिपोर्ट | 10 Feb 2018

संदर्भ:

  • हाल ही में नीति आयोग के द्वारा ‘स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत’ शीर्षक से स्वास्थ्य सूचकांक रिपोर्ट जारी की गई है। इससे विभिन्न राज्यों में स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति तथा प्रगति का आकलन किया जा सकेगा। 
  • विश्व बैंक में भारतीय  प्रतिनिधि जुनैद अहमद के अनुसार भारत दुनिया में पहला ऐसा देश है जिसने राज्यों के स्तर पर इस तरह का सूचकांक तैयार किया है।

रिपोर्ट  से जुड़ी संस्थाएं:

  • रिपोर्ट को विश्व बैंक के तकनीकी सहयोग तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के परामर्श से नीति आयोग द्वारा विकसित किया गया है।
  • इसके अलावा रिपोर्ट को तैयार करने में राज्य तथा संघ शासित प्रदेशों एवं भारत औरविदेशों के विशेषज्ञों तथा अन्य विकास साझेदारों की मदद ली गई है।

राज्यों का वर्गीकरण:

States

तुलनात्मक अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से रिपोर्ट में विभिन्न राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है- 

  • बड़े राज्य: बड़े राज्यों में केरल, पंजाब, तमिलनाडु, गुजरात जैसे 21 राज्यों को शामिल किया गया है।
  • छोटे राज्य: वहीं सिक्किम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, गोवा और मणिपुर जैसे 8 राज्य छोटे राज्यों की श्रेणी में शामिल हैं।
  • संघीय प्रदेश: संघीय क्षेत्रों में भारत के 7 केंद्रशासित प्रदेशों को शामिल किया गया हैं। 

रिपोर्ट के संकेतक:

Health

सूचकांक के आकलन में तीन श्रेणियों के अंतर्गत विभिन्न संकेतकों का प्रयोग किया गया है इसे निम्नलिखित रुप में देखा जा सकता है-

  • स्वास्थ्य परिणाम:  इसमें महत्त्वपूर्ण परिणाम तथा माध्यमिक परिणाम  के तहत मातृत्व मृत्यु दर,  नवजात मृत्यु दर, कुल प्रजनन क्षमता, कुल मृत्यु दर और सम्पूर्ण टीकाकरण कवरेज जैसे 14 सूचकों को शामिल किया गया है।
  • शासन और सूचना: शासन और सूचना के तहत गुणवत्तापूर्ण शासन तथा सूचनाओं के प्रमाणिकता से संबंधित 3 सूचकों को शामिल किया गया है
  • प्रमुख आगत और प्रक्रियाएँ:  ‘प्रमुख आगत और प्रक्रियाओं’ में स्वास्थ्य प्रणाली तथा संबंधित सेवा प्रदान करने वाली प्रणाली से संबंधित 11  सूचकों को शामिल किया गया है।

इस प्रकार इसमें कुल 28 सूचकों को शामिल किया गया है। यहाँ बड़े राज्यों, छोटे राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों के लिये प्रयोग किये जाने वाले सूचकों  में भी अंतर है। बड़े राज्यों, छोटे राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के लिये क्रमशः 24, 20 तथा 19 सूचकों का प्रयोग किया गया है। इसे इन चित्रों के माध्यम से समझा जा सकता है।

Health Outcome

Union Territories

मूल्यांकन  के आधार

Health Sector

मूल्यांकन में राज्यों को दो आधारों पर परखा गया है-

  • स्वास्थ्य क्षेत्र में समग्र प्रदर्शन: यह दर्शाता है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में  किसी राज्य की वर्तमान स्थिति कैसी है।
  • वार्षिक स्तर पर सर्वाधिक प्रगति: यह दर्शाता है कि कोई राज्य पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र में कितनी तेजी से प्रगति कर रहा है। 

सूचकांक से संबंधित मुख्य बातें:

  • रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य क्षेत्र में विभिन्न राज्यों के प्रदर्शन में भारी विविधता देखी गई है। समग्र प्रदर्शन मेंजहां  केरल जैसे राज्यों को 76.55 अंक प्राप्त हुए हैं वही उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को केवल 35.69 अंक प्राप्त हुए हैं। 
  • अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्य तथा बुरा प्रदर्शन करने वाले राज्य के बीच का अंतर बड़े राज्यों (43) में अधिक है जबकि छोटे राज्यों (36) तथा संघ शासित प्रदेशों (31) में कम है। 
  • रिपोर्ट में स्वास्थ्य क्षेत्र में समग्र प्रदर्शन तथा वार्षिक स्तर पर प्रगति करने वाले राज्यों में भी असंगतता देखी गई है। यह देखा गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में कमजोर समग्र प्रदर्शन करने वाले राज्यों में वार्षिक स्तर पर तीव्र प्रगति हुई है।
  • उदाहरण के लिये उत्तर प्रदेश, झारखंड जैसे राज्यों में वार्षिक प्रगति दर सामान्य से अधिक है। वहीं, समग्र प्रशासन के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले केरल में वार्षिक प्रगति दर सबसे कम है।  
  • प्रगति की दृष्टि से बड़े राज्यों में झारखंड (6.87), जम्मू-कश्मीर (6.83) तथा उत्तर प्रदेश (5.55) का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है। जबकि समग्र प्रदर्शन की दृष्टि से क्रमशः केरल, पंजाब तथा तमिलनाडु ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है।
  • छोटे राज्यों में समग्र प्रदर्शन की दृष्टि से  क्रमशः  मिजोरम और मणिपुर का स्थान सबसे बेहतर रहा है, वहीं प्रगति की दृष्टि से मणिपुर (7.18) तथा गोवा(6.67) का प्रदर्शन सबसे बेहतर है।
  • संघ शासित प्रदेशों में समग्र प्रदर्शन की दृष्टि से लक्षद्वीप तथा चंडीगढ़ का प्रदर्शन सबसे बेहतर है। वहीं वार्षिक प्रगति की दृष्टि से लक्षद्वीप (9.56) के बाद अंडमान और निकोबार दीप समूह (3.82) का स्थान है। लक्षद्वीप में संस्थागत प्रसव तथा टी.बी. जैसे रोगों के उचित उपचार के कारण स्वास्थ्य क्षेत्र में पर्याप्त सुधार हुआ है।
  • स्वास्थ्य में प्रगति की दृष्टि से भारत के लगभग एक तिहाई राज्यों का प्रदर्शन नकारात्मक रहा है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा तथा केरल जैसे राज्यों में इस प्रवृत्ति को देखा जा सकता है। छोटे राज्यों में अरुणाचल प्रदेश तथा त्रिपुरा एवं संघ शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ तथा दमन एवं दीव में इस प्रवृत्ति को देखा जा सकता है। 

इस चित्र के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य मूल्यांकन की दृष्टि से  बड़े  राज्यों की स्थिति को देखा जा सकता है-

India

इंडेक्स की सीमाएँ:

  • संक्रामक रोगों, मानसिक स्वास्थ्य, प्रशासन और वित्तीय जैसे कुछ महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में
  • स्वीकार्य डाटा की अनुपलब्धता के कारण जोखिम सुरक्षा को सूचकांक में पूरी तरह से कैप्चर नहीं किया जा सका।
  • इसके अलावा, निजी क्षेत्र से संबंधित सूचनाओं के अभाव में सूचकांकों का निर्धारण मुख्यतः सार्वजनिक क्षेत्रों के सेवा वितरण के आधार पर किया गया है। जबकि भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र निजी क्षेत्र पर अत्यधिक निर्भर है।
  • साथ ही, छोटे राज्यों और शासित प्रदेशों से संबंधित सूचनाओं कि कमी के कारण इनके आकलन में अपेक्षाकृत कम सूचकों को शामिल किया गया है। 

निष्कर्ष:

  • सूचकांक में अधिक आबादी वाले राज्यों जैसे- उत्तर प्रदेश, बिहार आदि ने 50 से कम अंक हासिल किये हैं। यह दर्शाता है कि भारत की अधिकांश जनसंख्या वर्तमान समय में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रही है। 
  • उत्तरप्रदेश, बिहार जैसे राज्यों का कमजोर प्रदर्शन यह बताता है कि स्वास्थ्य की दृष्टि से इन राज्यों में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • इस सूचकांक के अनुसार स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रगति के दृष्टि से लगभग एक तिहाई राज्यों का प्रदर्शन  नकारात्मक रहा है। यह एक चिंतनीय स्थिति है। इसमें सुधार के लिये एक एकीकृत नीति की आवश्यकता है।   
  • किंतु केरल तथा पंजाब जैसे राज्यों द्वारा किया गया प्रदर्शन आशाजनक है बड़े राज्यों में अच्छे प्रदर्शन करने वाले इन राज्यों के स्वास्थ्य मॉडल पर चलकर अन्य राज्यों के प्रदर्शन में भी सुधार किया जा सकता है।
  • समग्र प्रदर्शन की दृष्टि से कमजोर राज्यों की प्रगति का तीव्र होना भी स्वास्थ्य की दृष्टि से आशाजनक है। 
  • सबसे बड़ी बात यह है कि यह सूचकांक जनता तथा विश्व के सामने विभिन्न राज्यों की स्थिति को स्पष्ट कर उन पर सुधार करने के लिये दबाव बनाएगा और सहकारिता और प्रतियोगी संघवाद के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होगा।