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राष्ट्रीय हथकरघा दिवस: घोषणाएँ एवं चुनौतियाँ | 08 Sep 2020 | शासन व्यवस्था

यह संपादकीय “Handloom Day announcements look like a mix of the good and the bad, but are mostly foggy” पर आधारित है, जो 21 अगस्त 2020 को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित हुआ था। यह लेख राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर की गई घोषणाओं की वर्ष 2020 एवं आगे आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण करता है।

संदर्भ

7 अगस्त 2020 को छठा राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया और इस दिन वस्त्र मंत्रालय द्वारा कई घोषणाएँ भी की गई। COVID-19 महामारी के कारण वस्त्र मंत्रालय द्वारा एक आभासी मंच पर राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया। इन घोषणाओं ने हथकरघा उद्योग के लिये बहुत आवश्यक कार्यों का मार्ग प्रशस्त किया लेकिन साथ ही इससे कुछ चुनौतियाँ भी उत्पन्न हुईं।

घोषणाएँ:

हथकरघा, पावरलूम, ऊन, जूट और रेशम बोर्डों की समाप्ति:

न्यू हैंडलूम पोर्टल: बुनकर समुदाय में गर्व की भावना बढ़ाने के लिये सोशल मीडिया अभियान के साथ-साथ राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर एक हैंडलूम पोर्टल की शुरुआत की गई।

आभासी प्रदर्शनी:

मीट द मेकर्स अभियान : फैशन डिज़ाइन काउंसिल ऑफ़ इंडिया (FDCI), एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत में फैशन के व्यवसाय को आगे बढ़ाने और इसके सतत् विकास को सुनिश्चित करने के लिये काम करता है, मीट द मेकर्स सहित कई अभियान शुरू किये जो हथकरघा निर्माताओं को बढ़ावा देंगे।

COVID-19 सहायता कोष:

आत्मनिर्भर भारत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी से हस्तशिल्प के प्रति मुखर होने और एक आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रयासों को मज़बूत करने का भी आग्रह किया। केंद्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी ने आमजन से हथकरघा उत्पाद खरीदने और इस भारतीय विरासत का कीर्तिगान करने का आग्रह किया।

चुनौतियाँ

नए संस्थान की स्थापना:

अंतर्संबंध:

सूचना प्रौद्योगिकी अवसंरचना:

कच्चा माल:

क्रेडिट समर्थन:

घटती संख्या:

पहुँच में कमी:

आगे की राह

जानकरी एवं पहुँच:

सत्यम और अजय शंकर समिति की सिफारिशों को लागू करना:

बॉटम-अप दृष्टिकोण:

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस

मुख्य परीक्षा प्रश्न: भारत में हथकरघा उद्योगों की चुनौतियों पर चर्चा करें। क्या सरकार इन मुद्दों को संबोधित करने के लिये पर्याप्त रूप से समर्थ है?