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GDP की गणना और आधार वर्ष | 13 Nov 2019 | भारतीय अर्थव्यवस्था

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में GDP की गणना और आधार वर्ष पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) देश में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की गणना के लिये आधार वर्ष को 2011-12 से बदलकर 2017-18 करने पर विचार कर रहा है। मुख्य सांख्यिकीविद् के अनुसार, इस कार्य को उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (CES) और उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण (ASI) के बाद जल्द-से-जल्द किया जाएगा। गौरतलब है कि GDP का उपयोग मुख्यतः किसी देश के विकास को मापने के लिये एक पैमाने के रूप में किया जाता है। देश की वृद्धि दर की गणना करते समय अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति जानने के लिये आधार वर्ष का प्रयोग किया जाता है। विदित हो वर्तमान में भारत 2011-12 को आधार वर्ष के रूप में प्रयोग कर रहा है।

क्या होता है आधार वर्ष?

आधार वर्ष के प्रयोग का इतिहास

आधार वर्ष में परिवर्तन की आवश्यकता

आधार वर्ष का विवाद

निष्कर्ष

2017-18 को आधार वर्ष के रूप में मानने का प्रस्ताव स्वागत योग्य कदम है, हालाँकि वर्तमान GDP आकलन की कार्यप्रणाली और डेटा संबंधी विवादों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। आधार वर्ष में परिवर्तन के बाद भी संदेह तब तक बना रहेगा जब तक कि आकलन की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया जाएगा और आँकड़ों की विश्वसनीयता सुनिश्चित नहीं की जाएगी। वर्तमान समस्याओं के मद्देनज़र GDP कार्यप्रणाली की समीक्षा करने के लिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का एक स्वतंत्र आयोग स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है।

प्रश्न: आधार वर्ष क्या है? इसमें संशोधन की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये।