तबाही की कगार पर गाज़ा | 19 Nov 2018

संदर्भ

हाल ही में गाज़ा पट्टी (Gaza Strip) में फिलिस्तीनी (Palestine) लड़ाकों तथा इज़राइल (Israel)के बीच भड़के खूनी संघर्ष ने गाज़ा पट्टी के भविष्य को अनिश्चित बना दिया है। गौरतलब है कि हमास के खिलाफ इज़राइली सेना के एक अभियान के दौरान भारी गोलीबारी हुई। इस गोलीबारी में 7 लोगों के मरने की पुष्टि की गई, जिनमें एक इज़राइली सैनिक के साथ-साथ हमास के सशस्त्र विंग का एक स्थानीय कमांडर भी शामिल था।

हालिया घटना

  • उक्त क्षेत्र पर नियंत्रण रखने वाले हमास ने प्रतिशोध स्वरूप इज़राइल पर सैकड़ों मिसाइलें तथा गोले दागने शुरू कर दिये जिसकी प्रतिक्रिया में इज़राइल ने भी सैकड़ों हवाई तथा ज़मीनी हमले किये।
  • इज़राइल ने टेलीविज़न और रेडियो स्टेशनों के साथ-साथ हमास के सैन्य खुफिया मुख्यालयों को भी ध्वस्त कर दिया।
  • संसाधनों से वंचित 1.82 मिलियन लोगों पर 2014 के युद्ध के बाद यह सबसे भयावह इज़राइली हमला था। एक दशक के अंदर गाज़ा चौथे युद्ध का सामना कर रहा है।
  • इस क्षेत्र में वर्षों से तबाही मची हुई है। पिछले युद्धों में इज़राइल ने गाज़ा पट्टी के सार्वजनिक स्थलों पर भारी हमले किये थे, जिसके परिणामस्वरूप बहुत बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई, इस हमले के प्रतिशोध में हमास ने इज़राइल के नागरिक क्षेत्रों में मिसाइलों से हमले कर दिये थे।

गाज़ा की स्थिति

  • इज़राइल ने इस क्षेत्र के जल, थल तथा नभ तीनों पर नाकेबंदी की है ताकि हमास को हथियार जुटाने से रोका जा सके और गाज़ा पट्टी क्षेत्र पर इसके दबदबे को कम किया जा सके। किंतु हमास गाज़ा पर नियंत्रण बनाए रखने में अब भी सक्षम है और भिन्न-भिन्न तरीकों से हथियार जुटा रहा है।
  • नाकेबंदी की वज़ह से आम नागरिकों को सबसे ज़्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। क्षेत्र में बेरोज़गारी की दर लगभग 40 प्रतिशत है। आयात और निर्यात पर प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है।
  • गाज़ा पट्टी को डीजल, पेट्रोल की भारी कमी, बिजली कटौती, ठप पड़े सीवर प्लांट जैसी अनगिनत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। असल में, इज़राइल ने गाज़ा पट्टी को सामूहिक दंड दिया है।

हमास (Hamas) क्या है?

  • हमास फिलिस्तीनी क्षेत्र का सबसे प्रमुख इस्लामी चरमपंथी संगठन है। 1987 के जन आंदोलन के दौरान इसका गठन हुआ था।
  • उसके बाद से यह फिलिस्तीनी क्षेत्रों से इज़राइली सेना को हटाने के लिये संघर्ष चला रहा है। हमास इज़राइल को मान्यता नहीं देता और इसका लक्ष्य पूरे फिलिस्तीनी क्षेत्र में इस्लामी राष्ट्र की स्थापना करना है।
  • हमास गाज़ा पट्टी में ख़ासा लोकप्रिय है, जहाँ पश्चिमी किनारे की तुलना में ग़रीबी अधिक है। हमास के सबसे प्रभावशाली अध्यात्मिक नेता शेख अहमद यासीन को फ़िलस्तीनी इस्लामी आंदोलन का उदार चेहरा माना जाता है।
  • लकवाग्रस्त शेख़ अहमद यासीन को 1997 में इज़राइली जेल से रिहा किया गया था। रिहाई के बाद शेख़ यासीन ने अपना सारा ध्यान इस्लामी कल्याणकारी संस्थाओं की हालत सुधारने में लगा दिया जो इज़राइली हमलों में तबाह हो गई थीं।
  • शेख अहमद यासीन के नेतृत्व में चलाए जा रहे इस संगठन की राजनीतिक और सशस्त्र दो इकाइयाँ हैं। मार्गदर्शक शेख़ यासीन की राजनीतिक इकाई ने अब तक पश्चिमी किनारे और गाज़ा पट्टी में अस्पताल तथा स्कूल बनवाए हैं।
  • यह इकाई स्थानीय लोगों की सामाजिक तथा धार्मिक मामलों में सहायता भी करती है। हमास की सशस्त्र इकाई इज़राइली ठिकानों पर हमले करती है। हमास ने इज़राइली क्षेत्रों में कई आत्मघाती हमले किये हैं।

  • हाल के महीनों में स्थिति और अधिक ख़राब हुई है। इज़राइल के गठन के तुरंत बाद 1948 के पहले अरब-इज़राइल युद्ध में लगभग 7,50,000 फिलिस्तीनियों को उनके घरों से बाहर कर दिया गया था।
  • हाल ही में हज़ारों फिलिस्तीनी अपने पैतृक घर तथा ज़मीन पर लौटने की मांग करते हुए सीमा पर मार्च करने लगे। यह मार्च लगातार होता रहा है जिसके जवाब में इज़राइली सैनिकों द्वारा अक्सर गोलियाँ चलाई गईं हैं। इज़राइली सैनिकों द्वारा लगभग 200 फिलिस्तीनियों की हत्या तथा हज़ारों को घायल किया गया है।

आगे की राह

  • हाल ही में मिस्र और कतर ने वार्ता में मध्यस्थता की पेशकश की थी और फिलिस्तीन के अंदरूनी क्षेत्रों में आवश्यक संसाधन भी मुहैया कराए थे। इज़राइल ने इस संदर्भ में सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी, जिससे गाज़ा में तेल के टैंक और वित्तीय सहायता भी प्रदान की जानी थी। यह आगे की वार्ता के लिये मंच भी स्थापित करता, लेकिन अंदरूनी क्षेत्रों में इज़राइल के अंडरकवर मिशन ने मौजूदा संकट को शुरू कर दिया।
  • खतरनाक स्थिति को रेखांकित करते हुए दोनों पक्षों द्वारा युद्धविराम की घोषणा कर दी गई। किंतु सीमा पर हिंसा जारी रही। मिस्र द्वारा प्रस्तावित मानवीय हस्तक्षेपों की इज़ाज़त देते हुए इज़राइल तथा हमास को खुद को रोकना चाहिये। गाज़ा को फ़िलहाल किसी युद्ध की नहीं, सहायता की ज़रूरत है।