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G-7 और भारत | 10 Jun 2021 | अंतर्राष्ट्रीय संबंध

यह एडिटोरियल दिनांक 08/06/2021 को 'द इंडियन एक्सप्रेस' में प्रकाशित “The G-7 opportunity” पर आधारित है। इसमें भारत के लिये आगामी G-7 शिखर सम्मेलन के महत्त्व के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

आगामी कुछ दिनों में यूनाइटेड किंगडम में G-7 देशों का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। कोविड-19 के बाद होने वाला यह शिखर सम्मेलन पश्चिमी राष्ट्रों के सामूहिक राजनीतिक विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा।

G-7: पृष्ठभूमि

भारत के लिये G-7 शिखर सम्मेलन का महत्त्व

G-7 और भारत के साथ संबद्ध चुनौतियाॅं

निष्कर्ष

जबकि भारत एशिया और दक्षिणी विश्व में अपनी भागीदारी को मजबूत कर रहा है, पश्चिमी देशों के साथ एक अधिक उत्पादक साझेदारी भारत के राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने में मदद करती है एवं भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एक नया आयाम जुड़ेगा।

हालाँकि इसके लिये वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में सुधार, जलवायु परिवर्तन को कम करने, हरित विकास को बढ़ावा देने, भविष्य में दुनिया के महामारियों के प्रति प्रतिरक्षा विकसित करने जैसे साझा हितों पर निरंतर बातचीत की आवश्यकता होगी।

अभ्यास प्रश्न: भारत इस तथ्य को अनदेखा नहीं कर सकता कि चीन भारत की वैश्विक आकांक्षाओं में सबसे बड़ी बाधा है। इस कथन के आलोक में भारत के G-7 में शामिल होने की संभावनाओं पर चर्चा कीजिये।