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लाभ का पद: अर्थ व प्रावधान | 21 Mar 2018 | भारतीय राजनीति

संदर्भ
हाल ही में चुनाव आयोग द्वारा लाभ का पद (Office of Profit) के उल्लंघन के मामले में राष्ट्रपति से दिल्ली के विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश किये जाने के पश्चात् राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य करार दे दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय वर्तमान में निर्वाचित विधायकों की याचिका पर चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ सुनवाई कर रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा इन विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया था, जो कि एक लाभ का पद है। इस आलेख में हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि लाभ का पद क्या होता है और इससे संबंधित प्रावधान क्या हैं?   

लाभ का पद से तात्पर्य

लाभ का पद संबंधी प्रावधानों की आवश्यकता

क्या कानून बनाकर लाभ के पद से छूट दी जा सकती है?

न्यायपालिका व लाभ का पद

संसदीय सचिव से संबंधित प्रावधान व उनकी वैधता

निष्कर्ष
यह चिंता का विषय है कि इतनी बड़ी संख्या में (दिल्ली में लगभग 40% एवं नागालैंड में लगभग 43%) विधायकों को ऐसे पदों पर (कार्यालयों में) नियुक्त किया जा रहा है। क्योंकि अगर इतनी बड़ी संख्या में विधायकों को ऐसे पदों पर नियुक्त किया जाएगा तो सरकार के काम पर नियंत्रण रखने की उनकी भूमिका प्रभावित हो सकती है। इस प्रकार, यह संविधान के अनुच्छेद 102 और 191 की भावना का उल्लंघन करने के साथ – साथ संविधान में उल्लेखित विधायिका और कार्यपालिका के बीच शक्ति के पृथक्करण के सिद्धांत का भी उल्लंघन करता है। संसदीय सचिवों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 164 (1 ए) का भी उल्लंघन है।