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कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कारण उत्पन्न नैतिक चुनौतियाँ | 18 Mar 2021 | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में "कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कारण उत्पन्न नैतिक चुनौतियों” पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ: 

पिछले एक दशक में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) का विकास अभूतपूर्व गति से हुआ है। पहले से ही इसका उपयोग फसलों की पैदावार बढ़ाने, व्यापार उत्पादकता को बढ़ाने, ऋण में सुधार तथा रोग का पता लगाने में तीव्रता एवं सटीकता के साथ किया जा रहा है।

इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हम जितना अधिक AI का उपयोग करते हैं, उतना ही बेहतर तरीके से अधिक डेटा उत्पन्न करते हैं और जैसे-जैसे ये प्रणालियांँ अधिक सक्षम होती जाती हैं, विश्व और अधिक कुशल होता जाता है और इसके फलस्वरूप वैश्विक समृद्धि को बढ़ावा मिलता है।

एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2030 तक  विश्व अर्थव्यवस्था में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का योगदान 15 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का हो सकता है तथा वैश्विक जीडीपी में 14% की भागीदारी की उम्मीद है। सतत् विकास लक्ष्यों  (Sustainable Development Goals- SDGs) पर AI के प्रभाव की समीक्षा करते हुए नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि यह सभी SDGs को प्राप्त करने में 79% तक कार्य कर सकता है।

हालाँकि एक ओर जिस तरह से AI के प्रयोग द्वारा अरबों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है, वहीँ दूसरी ओर यह मौजूदा समस्याओं में और अधिक वृद्धि के साथ नई समस्याओं को भी जन्म दे सकता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता से उत्पन्न चुनौतियाँ: 

आगे की राह: 

निष्कर्ष: 

जिस प्रकार से विद्युत का उपयोग समय की बचत में सहायक है, उसी  प्रकार AI का उपयोग वस्तुतः अस्तित्व के हर पहलू को मौलिक रूप में तब्दील करने में सहायक है जो जलवायु परिवर्तन शमन, शिक्षा और वैज्ञानिक खोज हेतु नए एवं उच्चतर अकल्पनीय रास्ते खोलने, भूख, गरीबी और बीमारी के उन्मूलन की ओर ले जा सकता है।

हालांँकि नैतिक मानदंडों के अभाव में AI का प्रयोग सामाजिक तथा आर्थिक अंतराल के साथ ही किसी जन्मजात पूर्वाग्रह को अपरिवर्तनीय तौर पर और अधिक बढ़ाएगा तथा भेदभावपूर्ण परिणामों को उत्पन्न करेगा।

अभ्यास प्रश्न: पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता सामाजिक और आर्थिक अंतराल में वृद्धि कर सकती है, जिसके चलते भेदभावपूर्ण परिणाम सामने आ सकते हैं। विश्लेषण कीजिये।