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डेटा स्थानीयकरण | 30 May 2019 | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

यह लेख ‘द हिंदू’ में प्रकाशित आलेख "What is India’s stand on data storage?" का भावानुवाद है। इस लेख में डेटा स्थानीयकरण (Data Localisation) की आवश्यकता और इसके निहितार्थ के विषय में चर्चा की गई है।

संदर्भ

हाल ही में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने यह आशंका जताई कि कई राष्ट्र स्थानीय स्तर पर डेटा का संग्रहण करना चाहते हैं। मार्क जुकरबर्ग का मानना है कि डेटा तक पहुँच सुनिश्चित होने पर सत्तारूढ़ सरकारें अपने हितों की रक्षा हेतु इसका दुरुपयोग भी कर सकती हैं। अमेरिका ने भी भारत के डेटा संग्रहण के प्रस्तावित मापदंडों की आलोचना करते हुए इसे अत्यधिक भेदभावपूर्ण एवं व्यापार के लिये खतरनाक कदम बताया है। जबकि इन सबसे इतर भारत बहुत से ऐसे विधेयकों को पारित करने के लिये तैयार है जो कानून का रूप धारण करते ही डेटा स्थानीयकरण और सुरक्षा नियमों को अत्यधिक सख्त बना देंगे।

डेटा सुरक्षा (Data Protection) क्या है?

भारत में डेटा स्थानीयकरण कानून के संबंध में कौन-सी नीतियों का अनुपालन किया जाता है?

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा काफी समय से भुगतान प्रणालियों के संदर्भ में अनिवार्य रूप से डेटा संग्रहण की मांग की जा रही हैं।

डेटा स्थानीयकरण कानून (Data-Localisation Laws) पर भारत में नीतियाँ

न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण समिति द्वारा डेटा सुरक्षा पर की गई सिफारिशें

उपरोक्त सिफारिशों के अलावा डेटा स्थानीयकरण के संबंध में निम्नलिखित नीतियाँ भी हैं:

क्यों महत्त्वपूर्ण है डेटा का स्थानीयकरण?

कंपनियाँ डेटा भंडारण और स्थानीयकरण में असमर्थ क्यों हैं?

CLOUD अधिनियम के प्रावधान

सीमा पार डेटा साझाकरण को समाप्त करने के संदर्भ में अमेरिकी कॉन्ग्रेस द्वारा पारित CLOUD अधिनियम (Clarifying Lawful Overseas Use of Data Act) में किये गए प्रावधानों से सहायता ली जा सकती है जो निम्नलिखित हैं:

डेटा स्थानीयकरण एवं स्प्लिंटरनेट
(Data Localisation and Splinternet)

आगे की राह

डेटा स्थानांतरण मॉडल (Data Transfer Model)

संभावित प्रश्न: डेटा स्थानीयकरण निस्संदेह एक सीमाहीन दुनिया के रूप में इंटरनेट की आदर्श संकल्पना पर धब्बा है, डेटा स्थानीयकरण के दायरे और सीमा पर चर्चा करें।