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भारत की प्रति-व्यापार व्यवस्था | 27 Apr 2022 | भारतीय अर्थव्यवस्था

यह एडिटोरियल 26/04/2022 ‘हिंदू बिजनेसलाइन’ में प्रकाशित “Countertrade can Work in Crisis Situations” लेख पर आधारित है। इसमें अन्य देशों के साथ भारत की ‘काउंटरट्रेड’ व्यवस्थाओं और भारत के लिये एक ‘काउंटरट्रेड नीति’ की आवश्यकता के संबंध में चर्चा की गई है।

संदर्भ

रूस पर प्रतिबंधों (जिसने भारत के लिये रूस के साथ व्यापार में डॉलर में प्राप्तियों और भुगतान दोनों को बाधित किया है) से बने व्यापक दबाव को देखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) रूस के केंद्रीय बैंक के साथ मिलकर एक ऐसे फ्रेमवर्क के निर्माण पर कार्य कर रहा है जहाँ अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिये रुपए के संभावित अधिकाधिक उपयोग के साथ दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार एवं बैंकिंग परिचालन को सुचारू किया जा सके।

काउंटरट्रेडिंग क्या है?

काउंटरट्रेड का महत्त्व 

काउंटरट्रेड के मामले में भारत की स्थिति 

ऋण के बदले माल मॉडल (Debt-for-Goods Arrangement) क्या है?

काउंटरट्रेड नीति 

काउंटरट्रेड से संलग्न चुनौतियाँ 

आगे की राह

निष्कर्ष

डॉलर से जुड़ी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था ने व्यापार समझौतों को अमेरिका की कार्रवाई के लिये अतिसंवेदनशील बना दिया है। कुछ देशों के साथ व्यापार संबंधों को निलंबित करने के बढ़ते दबाव के बीच भी भारत ने अपने आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिये एक मज़बूत रुख अपना रखा है। व्यापार समझौतों को पेश चुनौतियों से बचने के लिये एक व्यापक तंत्र के माध्यम से भारत को अपने रुख को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।

अभ्यास प्रश्न: ‘‘काउंटरट्रेडिंग ऐसे देशों के साथ लेनदेन की सुविधा के लिये एक वैकल्पिक ढाँचा हो सकता है जो राजकोषीय संकट के शिकार हैं या अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा झेल रहे हैं।’’ चर्चा कीजिये।