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जलवायु परिवर्तन और खाद्य असुरक्षा | 09 Dec 2021 | जैव विविधता और पर्यावरण

यह एडिटोरियल ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “COP-27, in Egypt, Must Focus on Food Systems” लेख पर आधारित है। इसमें चर्चा की गई है कि खाद्य असुरक्षा किस प्रकार जलवायु परिवर्तन से संबंधित है और कमज़ोर समुदायों के लिये प्रत्यास्थता का निर्माण कर जलवायु संकट और भुखमरी की समस्या से निपटने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं।

संदर्भ

सरकारों, नागरिकों और निजी क्षेत्र के बीच मज़बूत सहयोग और साझेदारी के साथ वर्ष 2030 तक विश्व को भुखमरी से मुक्त करने और सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) के लक्ष्यों की पूर्ति करने के लिये विश्व परिवर्तन की कगार पर है ।

सर्वाधिक कमज़ोर लोगों की रक्षा के लिये UNFCCC के COP-26 शिखर सम्मेलन में योगदानकर्त्ता राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सरकारों द्वारा नए समर्थन के रूप में 356 मिलियन डॉलर की राशि भी जुटाई गई।

निश्चित रूप से ये सभी प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन विश्व में खाद्य सुरक्षा का संकट अभी भी बना हुआ है और कोविड-19 महामारी द्वारा इस समस्या को और गहरा ही किया गया है।

वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये विकास एवं संवहनीयता के संतुलन, जलवायु परिवर्तन के शमन, स्वस्थ, सुरक्षित एवं किफायती भोजन की सुनिश्चितता और इसके लिये सरकारों एवं निजी क्षेत्र की ओर से निवेश की दिशा में खाद्य प्रणाली की पुनर्कल्पना की जाने की आवश्यकता है।

जलवायु संकट और भुखमरी 

आगे की राह

निष्कर्ष

खाद्य प्रणालियों की पुनर्कल्पना के लिये इसे जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन के नज़रिये से देखना होगा, जहाँ उन्हें हरित और संवहनीय बनाने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन एवं महामारियों के प्रति लचीला बनाना भी आवश्यक है।

अभ्यास प्रश्न: वैश्विक स्तर पर जलवायु संकट और बढ़ती खाद्य असुरक्षा के बीच के अंतर्संबंध की व्याख्या कीजिये और इन समस्याओं से एक साथ निपटने के उपायों के सुझाव दीजिये।