जनगणना 2021 | 04 Jun 2021

यह एडिटोरियल दिनांक 02/06/2021 को 'द हिंदुस्तान टाइम्स' में प्रकाशित “Conduct the Decadal Census of India, 2021” पर आधारित है। इसमें जनगणना की उपयोगिता के बारे में चर्चा की गई है। जनगणना में देरी करने से क्या समस्याएॅं हो सकती है।

औपनिवेशिक राज की कई विरासत 1947 के बाद भी भारत में रही। भारत की जनगणना उनमें में से एक है। जनगणना शब्द लैटिन शब्द 'censere' से लिया गया है, जिसका अर्थ है- 'आकलन करना'।

आम तौर पर प्रत्येक अर्द्ध-दशकीय (पाॅंच साल) या दशकीय जनसंख्या जनगणना को राष्ट्रीय संसाधन नियोजन के लिये अपरिहार्य माना जाता है। भारत में हर दशक में जनगणना की जाती है तथा 2021 की जनगणना देश की 16वीं राष्ट्रीय जनगणना होगी।

हालाँकि कोविड-19 महामारी के कारण हम 2021 के मध्य में हैं और जनगणना की प्रक्रिया शुरू होने का कोई संकेत नहीं है। चूंकि जनगणना राजनीतिक फैसलों, आर्थिक निर्णयों एवं विकास लक्ष्यों को के लिये महत्त्वपूर्ण है अतः इसमें देरी करने पर समस्याएॅं खड़ी होंगी।

भारत में जनगणना: पृष्ठभूमि और महत्व

वर्ष 1858 में ब्रिटिश संसद में भारत सरकार अधिनियम, 1858 पारित किया गया था, कंपनी के शासन को समाप्त किया गया था और इसके अधिकारियों को ब्रिटिश राजशाही के अधीन स्थानांतरित कर दिया गया था। इस समय तक ब्रिटिश राजशाही ने भारत पर लगभग पूर्ण नियंत्रण कर लिया था।

  • उद्देश्य: ब्रिटिश सरकार को अपने प्रभुत्व बनाए रखने के लिये यहाॅं के बारे में विस्तृत एवं विश्वसनीय जानकारी की आवश्यकता थी।
    • ब्रिटिश सरकार ने भारत में जनगणना कराने की मांग की, क्योंकि वे ब्रिटेन में वर्ष 1801 से जनगणना कर रहे थे।
  • उत्पत्ति: रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के नव स्थापित कार्यालय ने वर्ष 1881 में भारत में पहली बार जनगणना पूरी की।
  • सकारात्मक प्रतिक्रिया: जबकि जनगणना का उद्देश्य भारतीय संसाधनों और भारतीयों का अधिकतम दोहन करना था, एक बार डेटा उपलब्ध हो जाने के बाद, इसे विभिन्न प्रकार के उपयोगकर्त्ता समूहों के द्वारा उपयोग किया जाने लगा।
    • शिक्षा विभाग ने प्राथमिक शिक्षा की योजना बनाने के लिये डेटा का इस्तेमाल किया।
    • लोक निर्माण विभाग ने इसका उपयोग सड़क नेटवर्क की योजना बनाने के लिये किया।
    • योजनाकारों ने इसका उपयोग बिजली संयंत्रों, ट्रंक लाइनों और रेलवे का पता लगाने के लिये किया।
    • जैसे ही डेटा के उपयोग से बुनियादी ढाॅंचा बनना शुरू किया, इसने बड़े पैमाने पर जनसंख्या का स्थानांतरण शुरू हुआ और बंबई, कलकत्ता एवं मद्रास जैसे बंदरगाह शहरों के तेज़ी से विकसित हुए।
  • महत्व: भारत अपनी 'विविधता में एकता' के लिये पहचाना जाता है और जनगणना नागरिकों को अपने समाज, जनसांख्यिकी, अर्थशास्त्र, मानव विज्ञान, समाजशास्त्र, सांख्यिकी आदि के माध्यम से इस विविधता और राष्ट्र से जुड़े पहलुओं का अध्ययन करने का मौका देती है।
    • यह केंद्र और राज्य सरकारों के लिये योजना बनाने और नीतियों के निर्माण के लिये बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है एवं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं, विद्वानों, व्यापारियों, उद्योगपतियों और कई अन्य लोगों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

हमें 2021 की जनगणना की चिंता क्यों करनी चाहिये?

  • परिसीमन अवधि: वर्ष 2026 में वर्तमान परिसीमन अवधि समाप्त होने पर लोकसभा में राजनीतिक संतुलन बदल सकता है।
    • यदि वर्ष 2021 में जनगणना नहीं होती है तो जनसंख्या प्रबंधन के सबसे खराब रिकॉर्ड वाले राज्यों, मुख्यतः उत्तरी भारत में, की संसद में प्रतिनिधित्व में बड़े पैमाने पर वृद्धि होगी। इसके विपरीत दक्षिण और पश्चिम भारत को नुकसान होगा।
  • आय का वितरण: वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व के वितरण पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। वस्तु एवं सेवा कर के बाद कर के वितरण के आधार अधिक विवादास्पद हो गए हैं किंतु जनसंख्या इस मामले में निर्णायक भूमिका निभाती है।  
  • ध्रुवीकरण की राजनीति: बहुसंख्यक राजनेता कई बार ये तर्क देते हैं कि वे बहुसंख्यक की जनसंख्या कम हो रही है और अल्पसंख्यकों की जनसंख्या बढ़ रही है। इसकी ज़मीनी स्थिति का निर्धारण करने के लिये अखिल भारतीय जनगणना आवश्यक है।
    • यह न केवल हमें जनसंख्या के बारे में आंकड़े प्रदान करता है बल्कि जन्म और मृत्यु दर, प्रजनन दर, सकल और शुद्ध जन्म दर जैसे विभिन्न सांख्यिकीय आॅंकड़े भी उपयोग करता है। इस तरह से भी बचा जा सकता है।
  • लक्षित निवेश: कोविड-19 के बाद की अवधि में आर्थिक क्रियाओं को फिर से शुरू करने के लिये बुनियादी ढाॅंचे में बड़े पैमाने पर निवेश की बात चल रही है।
    • जनगणना योजनाकारों इससे प्राप्त आॅंकड़ों को यह समझने में मदद करेगी कि किस क्षेत्र में कितना निवेश करना चाहिये जिससे किसे कितना लाभ प्राप्त होगा।

आगे की राह

इसलिये जनगणना के महत्त्व को देखते हुए निम्नलिखित उपायों को ध्यान में रखते हुए 2021 की दशकीय जनगणना को समय पर आयोजित किया जाना चाहिये:

  • आॅंकड़ों की गुणवत्ता को सुदृढ़ बनाना: यह कवरेज में आने वाली त्रुटि और सर्वेक्षण में प्रश्नों की संख्या को बढ़ाकर एवं उन्हें और अधिक वर्गीकृत कर त्रुटियों को कम किया जा सकता है।
    • यह सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम के कार्यान्वयन के विमर्श को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
  • जनगणना प्रणाली को मजबूत करना: प्रगणकों (डेटा संग्रहकर्ता) और आयोजकों के लिये उचित प्रशिक्षण आयोजित किया जाना चाहिये। साथ ही, प्रगणकों को प्रेरित करने के लिये उन्हें अच्छी तरह से भुगतान किया जाना चाहिये, क्योंकि वे डेटा संग्रह का केंद्र बिंदु हैं और आॅंकड़ों की सटीकता को सुनिश्चित करते हैं।
    • साक्षात्कारकर्त्ताओं को एक सुरक्षित, पारदर्शी, निष्पक्ष वातावरण प्रदान किया जाना चाहिये।
  • जनगणना को लेकर जागरूकता अभियान को सुदृढ़ बनाना: लोगों को अपने जीवन में जनगणना के महत्त्व के बारे में जागरूक करने के लिये बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान शुरू करना चाहिये।
    • जागरूकता फैलाने और लोगों को शिक्षित करने के लिये प्रासंगिक सामुदायिक, राजनीतिक और धार्मिक नेताओं, कॉलेज के छात्रों को शामिल किया जाना चाहिये।

निष्कर्ष

जनगणना पिछले एक दशक में देश की प्रगति की समीक्षा करने, सरकार की चल रही योजनाओं की निगरानी करने एवं सबसे महत्वपूर्ण भविष्य की योजना बनाने का आधार है। इसलिये इसका नारा है "हमारी जनगणना - हमारा भविष्य"।

अभ्यास प्रश्न: चूंकि जनगणना राजनीतिक ढाॅंचे को सुनिश्चित आकर प्रदान करती है, आर्थिक निर्णय एवं  विकास लक्ष्यों को प्रभावित करती है। अतः 2021 की जनगणना में देरी करना समस्याओं को आमंत्रित करने जैसा होगा। चर्चा कीजिये।