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पंचायत स्तर पर स्वायत्तता | 24 Jan 2023 | भारतीय राजनीति

यह एडिटोरियल 21/01/2023 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “There is hardly any autonomy at the panchayat level” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में पंचायत स्तर पर विद्यमान मुद्दों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

73वें और 74वें संशोधन अधिनियम— जिन्होंने स्थानीय सरकारों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, के तीन दशक से भी अधिक समय के बाद भी राज्य सरकारों द्वारा स्थानीय नौकरशाही के माध्यम से पंचायतों पर पर्याप्त विवेकाधीन अधिकार एवं प्रभाव का प्रयोग किया जाना जारी है।

पंचायत के कार्यकरण से संबद्ध प्रमुख समस्याएँ

अन्य प्रमुख पहलें

आगे की राह

अभ्यास प्रश्न: ज़मीनी स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी और सेवाओं के अधिक प्रभावी एवं कुशल वितरण सुनिश्चित करने के लिये भारत में पंचायतों के कार्यकरण में सुधार के लिये कौन-से कदम उठाये जा सकते हैं?

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

Q. एक सुशिक्षित और संगठित स्थानीय स्तर की सरकारी प्रणाली के अभाव में, 'पंचायत' और 'समितियाँ मुख्य रूप से राजनीतिक संस्थाएँ बनी हुई हैं और शासन के प्रभावी साधन नहीं हैं। समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (वर्ष 2015)

Q. आप एक पंचायत के सरपंच हैं। आपके क्षेत्र में सरकार द्वारा संचालित एक प्राथमिक विद्यालय है। विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को मध्याह्न भोजन दिया जाता है। प्रधानाध्यापक ने अब भोजन तैयार करने के लिये स्कूल में एक नया रसोइया नियुक्त किया है। हालाँकि जब यह पाया गया कि रसोइया दलित समुदाय से है तो उच्च जातियों के लगभग आधे बच्चों को उनके माता-पिता द्वारा भोजन करने की अनुमति नहीं है। नतीजतन स्कूलों में उपस्थिति तेज़ी से गिरती है। इसके परिणामस्वरूप मध्याह्न भोजन योजना को बंद करने उसके बाद शिक्षण कर्मचारियों और बाद में स्कूल को बंद करने की संभावना हो सकती है।

 (A) संघर्ष को दूर करने और सही माहौल बनाने के लिये कुछ व्यवहार्य रणनीतियों पर चर्चा करें।

 (B) ऐसे परिवर्तनों को स्वीकार करने के लिये सकारात्मक सामाजिक माहौल बनाने के लिये विभिन्न सामाजिक वर्गों और एजेंसियों की क्या ज़िम्मेदारियाँ होनी चाहिये? (वर्ष 2015)